टोकियो/बीजिंग – चीन अपने सामर्थ्य के जोर पर कुछ हिस्सों की वर्तमान स्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है, ऐसा आरोप जापान के नए प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने लगाया। किशिदा का यह बयान जापान के नए प्रधानमंत्री चीन के वर्चस्ववाद के मुद्दे पर आक्रामक भूमिका अपनाएगा, यह संकेत देनेवाला साबित होता है। इसी बीच जापान के प्रधानमंत्री ने ‘टीटीपी’ और मानव अधिकारों के मुद्दों पर भी चीन को लक्ष्य किया। प्रधानमंत्री किशिदा ने चीन के मानव अधिकारों के मुद्दे पर विशेष सलाहकार की नियुक्ति की जानकारी भी सामने आयी है।
प्रधानमंत्री का पदभार संभालने से पहले किशिदा ने वर्ष २०१२ से २०१७ के दौरान विदेशमंत्री पद का ज़िम्मा संभाला था। उन दिनों किशिदा को चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाते देखा गया था। प्रधानमंत्री पद की चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी उन्होंने चीन को लेकर सख्त बयान किए थे। इसमें सेंकाकू द्विपों के साथ ताइवान संबंधी बयान का भी समावेश है। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले ही दिन उन्होंने चीन पर लगाया आरोप ध्यान आकर्षित कर रहा है।
जापान और चीन के बीच ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र के सेंकाकू द्विपों को लेकर विवाद अधिक बिगड़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। चीन द्वारा इस क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश बढ़ाने की बात बीते कुछ वर्षों से सामने आ रही है। चीन के मछुआरों के जहाज़, युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और गश्त विमान भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। इसके खिलाफ जापान ने तीव्र चिंता जताई है और इस क्षेत्र में गश्त और रक्षा तैयारी बढ़ाने के संकेत भी दिए हैं। जापान के रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव पिछले महीने में सरकार के सामने पेश किया गया है और इसके अनुसार वर्ष २०२२ में ५० अरब डॉलर्स से अधिक राशि की माँग की है।
जापान के नए प्रधानमंत्री ने के बयान की पृष्ठभूमि पर चीन के सरकारी मुखपत्र ने उन्हें चेतावनी दी है। अमरीका और चीन के साथ संबंधों को संभालते समय किशिदा संतुलन रखें, यह इशारा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दिया है। इस बार चीनी मुखपत्र ने यह उम्मीद भी जताई है कि, जापान के नए प्रधानमंत्री ने मानव अधिकार के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने की कोशिश ना करें।
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