जेरूसलम यह सिर्फ इस्रायल की ही राजधानी है – इस्रायल के प्रधानमंत्री ने अमरीका से डटकर कहा

तेल अविव – ‘जेरूसलम में दूसरे अमरीकी उच्चायुक्तालय की आवश्यकता नहीं है । क्योंकि जेरूसलम यह केवल इस्रायल की ही राजधानी है। इस्रायल ने अपनी यह भूमिका अमरीका के सामने स्पष्ट रूप में रखी है’, ऐसा इस्रायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने डटकर कहा। साथ ही, अगर अमरीका फिलिस्तीन के लिए उच्चायुक्तालय शुरू करना चाहती ही है, तो वह उसे वेस्ट बैंक में शुरू करें, इन शब्दों में प्रधानमंत्री बैनेट ने अमरीका के सामने अलग विकल्प रखा।

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सन २०१८ में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीका का दूतावास तेल अवीव से स्थानांतरित करके जेरूसलम में शुरू किया था। उसके बाद ट्रम्प ने, जेरूसलम इस्रायल की राजधानी होने की घोषणा की थी। उनके इस फ़ैसले का इस्रायल ने ज़ोरदार स्वागत किया; वहीं, फिलिस्तीन की सरकार और फिलीस्तीन के समर्थकों ने ट्रम्प की ज़बरदस्त आलोचना की थी। पूर्व जेरूसलम यह फिलिस्तीन की राजधानी होने का दावा करनेवाले फिलिस्तीन ने अमरीका के साथ बने संबंधों से किनारा किया था।

अमरीका के विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ट्रम्प का यह फ़ैसला ख़ारिज किया जाएगा और फिलिस्तीन का उच्चायुक्तालय फिर से जेरूसलम में शुरू किया जाएगा, ऐसी घोषणा उस समय की थी। अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने कुछ हफ्ते पहले, जेरूसलम में फिलिस्तीन का उच्चायुक्तालय फिर से कार्यान्वित होगा, ऐसा ऐलान किया था।

शनिवार को तेल अवीव में माध्यमों के साथ बातचीत करते समय प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने घोषित किया कि जेरूसलम यह इस्रायल की ही राजधानी है। इसलिए इस्रायल के अलावा अन्य किसी भी राष्ट्र के लिए जेरूसलम में उच्चायुक्तालय को मान्यता नहीं दी जा सकती, ऐसा बेनेट ने डटकर कहा।

‘हमने अमरीका के सामने अपनी यह भूमिका रखी होकर, फिलिस्तीन के लिए नेतृत्व करनेवाला उच्चायुक्तालय जेरूसलम में स्थापित नहीं होने दिया जाएगा’, ऐसा प्रधानमंत्री बेनेट ने कहा। इस्रायली विदेश मंत्री येर लॅपिड ने भी प्रधानमंत्री बेनेट की भूमिका का समर्थन किया। साथ ही, अगर फिलिस्तीनियों को उच्चायुक्तालय बनाना ही है, तो वे वेस्ट बैंक के रामल्ला, अबू दिस इस इलाके में उसे शुरू करें, ऐसा प्रधानमंत्री बेनेट और विदेश मंत्री लॅपिड ने सुझाया।

इस्रायल के नेताओं ने किए इन बयानों पर जेरूसलम में नियुक्त अमरीका के राजदूत ने प्रतिक्रिया देना टाला। वहीं, फिलिस्तीनी नेताओं ने इस्रायल के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री का प्रस्ताव ठुकराया। इस्रायल आज भी फिलिस्तीन पर अतिक्रमण करने की भूमिका में ही है, यह इससे स्पष्ट हो रहा है, ऐसी आलोचना फिलिस्तीनी नेताओं ने की है।

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