बीजिंग – राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के हाथों में केंद्रित हुई सत्ता चीन की अर्थव्यवस्था एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रभाव के नज़रिये से खतरनाक साबित हो सकती है, ऐसा इशारा ‘एचके पोस्ट’ नामक वेबसाईट ने प्रसिद्ध किए लेख में दिया गया है| दो हफ्ते पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने विशेष प्रस्ताव पारित किया था| इस प्रस्ताव के कारण शी जिनपिंग की देश पर पकड़ अधिक मज़बूत होने की बात कही जा रही है|
‘जिनपिंग के एकाधिकार पर मुहर लगने से कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य महत्वाकांक्षी नेताओं की चिंता बढ़ी है| जिनपिंग के कार्यकाल में कम्युनिस्ट हुकूमत की आक्रामकता और रक्षा सामर्थ्य में भी बढ़ोतरी हुई है| इसकी वजह से पड़ोसी देश और पश्चिमी जगत में भी चिंता का माहौल फैला है’, ऐसा इशारा इस लेख में दिया गया है|
जिनपिंग के हाथों में नागरी एवं सैन्य स्तर के सर्वोच्च पद हैं| विशेषज्ञों के दावों के अनुसार शी जिनपिंग अभी दशकभर सत्ता में बने रह सकते हैं| इस वजह से कम्युनिस्ट पार्टी के मौजूदा पॉलिटब्युरो के नेताओं की पदोन्नति का मार्ग बंद हुआ है| जिनपिंग ने सभी अधिकार अपने हाथों में लेकर निर्णय करने की वजह से सामूहिक नेतृत्व की संकल्पना को नुकसान पहुँचा है| यह बात कुछ नेताओं को नाराज़ करनेवाली है, ऐसा ‘एचके पोस्ट’ ने कहा है|
राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के कार्यकाल में पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष में बढ़ोतरी हुई है और यह देश पश्चिमी देशों की ओर खिंचे जा रहे हैं, इस ओर वर्णित लेख में ध्यान आकर्षित किया गया है| इसके साथ ही कोरोना की महामारी, ‘एनर्जी क्राइसिस’ जैसे मुद्दों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर होता हुआ दिखाई दिया है| यह बात चीन के अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्थान को झटके देनेवाली साबित हो रही है, इसका अहसास इस लेख में कराया गया है|
वर्ष २०१८ में जिनपिंग ने राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए निर्धारित उम्र और समय सीमा की अवधि रद्द की थी| इसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा में ‘शी जिनपिंग थॉट’ के तौर पर अपनी नीति और विचारों के समावेश के लिए मज़बूर किया था| जिनपिंग ने ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ पर नियंत्रण रखनेवाले ‘सेंट्रल मिलिटरी कमिशन’ का प्रमुख पद भी अपने हाथों में लेने में सफलता हासिल की थी|
लेकिन, अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की नीतियों के खिलाफ स्वर उठने लगे हैं| मौजूदा विदेश नीति चीन के लिए लाभदायी साबित होती हुई दिखाई नहीं दे रही है, ऐसी नाराज़गी चीन के ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ के वरिष्ठ सेना अधिकारी जनरल दाई शी ने बीते वर्ष व्यक्त की थी|
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