टोकिओ – ‘बड़ी अर्थव्यवस्था होनेवाले चीन जैसे देश ने अगर ताइवान पर लष्करी हमला करने का दुस्साहस किया, तो चीन के लिए वह आत्मघात साबित होगा’, ऐसी चेतावनी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अॅबे ने दी। साथ ही, ताइवान अथवा ताइवान के लोकतंत्र पर हमला, यह जापान समेत सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए भयंकर चुनौती साबित होगा। ऐसे समय जापान और अमरीका चुपचाप नहीं बैठेंगे, ऐसा पूर्व प्रधानमंत्री अॅबे ने जताया। पिछले दो हफ्तों में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने दूसरी बार चीन को धमकाया है। चीन के सरकारी मुखपत्र ने इसकी दखल लेकर, अॅबे चीन के विरोध में प्रमुख नेता बनने लगे हैं, ऐसी टिप्पणी की है।
चीन के लड़ाकू विमानों की ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ अभी भी जारी है। कुछ घंटे पहले चीन के १३ विमानों ने ताइवान की सीमा का उल्लंघन किया था। इस पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से तीव्र प्रतिक्रियाएँ आईं हैं। हाल ही में संपन्न हुए ‘ताइवान-अमरीका-जापान ट्रायलॅटरल इंडो-पैसिफिक सिक्युरिटी डायलॉग’ में भी इसकी गूंजें सुनाई दीं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अॅबे ने वीडियो संदेश के द्वारा ताइवान के संदर्भ में चीन द्वारा अपनाई जा रही आक्रामकता को लक्ष्य किया।
‘चीन क्षेत्रीय विस्तार, पड़ोसी देशों को उकसाना और उन पर रोब जमाना ऐसे प्रकार रोके। क्योंकि अगर यह जारी रहा, तो उससे चीन अपना ही नुकसान करा देगा’, ऐसी सलाह जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अॅबे ने दी। उसी के साथ, ‘अपने क्षेत्रीय विवाद हल करने के लिए चीन लष्करी विकल्प को ना चुनें। उसके बजाय चीन का वरिष्ठ राजनीतिक नेतृत्व शांति से चर्चा के ज़रिए इन विवादों को हल करने की प्रगल्भता दिखाकर, अपने हित संबंधों को सुरक्षित रखेगा, ऐसी उम्मीद है’, ऐसा अॅबे ने जताया।
इसके बावजूद भी अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया ही, तो जापान और अमरीका चुप नहीं बैठेंगे, ऐसे संकेत अॅबे ने इस बैठक में दिए। साथ ही, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग अपने बयानों का विपर्यास ना करें, ऐसा आवाहन अॅबे ने किया। वहीं, जापान, अमरीका और ताइवान ने सभी क्षेत्रों में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े प्रयास करने की जरूरत है, ऐसा आवाहन भी अॅबे ने किया।
इसके लिए सागरी, हवाई, अंतरिक्ष से तथा साइबर क्षेत्र के सहयोग का उल्लेख जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने किया। केवल रक्षा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि व्यापारिक मोरचे पर भी ताइवान को अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट दिला देने के लिए जापान और अमरीका प्रयास करें, ऐसा अॅबे ने कहा। कुछ हफ्ते पहले ट्रान्स पॅसिफिक देशों के साथ व्यापारिक सहयोग करने में ताइवान ने लिए सहभाग का अॅबे ने स्वागत किया। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री की इस चेतावनी की चीन के सरकारी मुखपत्र में आलोचना की। जापान में होनेवाले चीनविरोधी गुट का अॅबे नेतृत्व कर रहे हैं, ऐसी आलोचना ग्लोबल टाइम्स इस चिनी मुखपत्र ने की।
दो हफ्ते पहले भी अॅबे ने, ‘ताइवान के विरोध में किया लष्करी दुस्साहस यह चीन के लिए आर्थिक दृष्टि से आत्मघात का मार्ग साबित होगा’ यह जताया था। चीन के जापान और ताइवान विरोधी कारनामों के कारण, शांति और युद्ध इनके बीच की रेखा अस्पष्ट बनती चली जा रही है, इसकी याद अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को करा दी थी। चीन ने जापान के राजदूत को समन्स थमाने के बाद, जापान की सरकार में ना होनेवाले और ऐसी चीनविरोधी भूमिका रखनेवाले कई लोग जापान में हैं। लेकिन उनके विचारों के लिए जापान को ज़िम्मेदार ठहराया नहीं जा सकता, यह बताकर जापान के राजदूत ने, चीन बिना वजह इसपर आगबबूला हो रहा है, ऐसी प्रतिक्रिया दी थी।
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