मास्को/बीजिंग – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने लंबे समय के लिए ईंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। रशिया की प्रमुख ईंधन कंपनी ‘गाज़प्रोम’ ने यह जानकारी साझा की। इस समझौते के अनुसार रशिया अगले ३० वर्षों तक चीन को १० अरब घनमीटर अतिरिक्त नैसर्गिक ईंधन वायु की आपूर्ति करेगी। दो देशों में लंबे समय के लिए किया गया यह दूसरा समझौता है।
रशिया की प्रमुख ईंधन कंपनी ‘गाज़प्रोम’ और चीन की सरकारी ‘सीएनपीसी’ ईंधन कंपनी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार रशिया सैबेरिया के ईंधन क्षेत्र से चीन को १० अरब घनमीटर ईंधन वायु प्रदान करेगी। इस समझौते का कार्यान्वयन पूरी क्षमता से शुरू होने के बाद रशिया द्वारा चीन को प्रदान होनेवाले ईंधन की मात्रा बढ़कर ४८ अरब घनमीटर तक जा पहुँचेगी, यह जानकारी रशियन सूत्रों ने प्रदान की। शुक्रवार को किए गए इस समझौते के ईंधन कारोबार के लिए यूरो का इस्तेमाल किया जाएगा, यह जानकारी भी प्रदान की गई है।
रशिया और चीन ने पिछले दशक से लंबे समय के लिए किया हुआ यह दूसरा समझौता है। इससे पहले वर्ष २०१४ में रशिया और चीन ने ३० वर्षों के लिए ईंधन समझौता किया था। इसके अनुसार वर्ष २०१९ में रशिया की ‘पॉवर ऑफ सैबेरिया’ नामक ईंधन पाईपलाइन से चीन को नैसर्गिक ईंधन वायु की आपूर्ति शुरू हुई थी। इसके बाद वर्ष २०१५ में रशिया की वेस्टर्न ईंधन पाईपलाइन से भी चीन को ईंधन प्रदान करने के लिए समझौता किया गया। लेकिन, यह समझौता सीमित होने की बात कही गई थी।
लेकिन, शुक्रवार को किया गया नया समझौता दोनों देशों का ईंधन सहयोग अधिक मज़बूत करनेवाला साबित हुआ है। नए समझौते के अनुसार रशिया को नैसर्गिक ईंधन वायु की आपूर्ति करने के लिए नया विकल्प उपलब्ध हुआ है और यूरोपिय देशों के लिए यह बात चिंता का मुद्दा बन सकती है। रशिया द्वारा यूरोप की ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन की ज़रूरत पूरी की जाती है। लेकिन, यूक्रैन के तनाव की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने यूरोप को विकल्प उपलब्ध करना शुरू किया है। यह विकल्प सक्रिय होने पर यूरोपिय देश रशिया से ईंधन की खरीद कम करेंगे और इससे रशिया को नुकसान पहुँचेगा, यह माना जा रहा है। लेकिन, चीन से लंबे समय के लिए समझौता करके रशिया ने अमरीका और यूरोप की गतिविधियों को चुनौती देने की बात मानी जा रही है।
रशिया से ईंधन का आयात करने के साथ ही चीन ने यूक्रैन के मुद्दे पर रशिया को समर्थन देने की बात सामने आयी है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद संयुक्त निवदेन जारी किया गया। इसमें नाटो के यूरोप में जारी विस्तार का विरोध किया गया है और शीतयुद्धकालिन मानसिकता से नाटो बाहर निकले, यह ज़िक्र भी किया गया है।
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