मास्को/किव – रशिया द्वारा बुधवार से डोन्बास क्षेत्र के ४० से अधिक शहर और करीबी इलाकों पर जोरदार हमले करने की जानकारी यूक्रेन ने प्रदान की। डोन्बास के कुछ इलाकों पर लगातार तोप, टैंक्स और रॉकेटस् के हमले हो रहे हैं और इसमें कई लोगों के मारे जाने का दावा किया गया है। रशिया के इन अभूतपूर्व हमलों के सामने लुहान्स्क की यूक्रैनी फौज पीछे हटने के लिए मज़बूर होने का दावा स्थानीय अधिकारियों ने किया। यूक्रेन में हमलों की तीव्रता बढ़ाने के साथ ही रशिया की संसद ने सेना में शामिल होने की उम्र की सीमा बढ़ानेवाला विधेयक पारित किया है। इस वजह से करीबी दिनों में रशिया यूक्रेन में अपनी सैन्य तैनाती अधिक बढ़ाएगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
इससे पहले रशियन सेना ने मारिपोल शहर पर कब्ज़ा करने के लिए जोरदार हमले किए थे। इसके बाद अब डोन्बास के लिए रशियन सेना पूरी ताकत के साथ उतरी है। रशिया पिछले हफ्ते से हमलों की तीव्रता बढ़ाने लगी थी। बुधवार को एकसाथ ४० से अधिक शहर और हिस्सों पर किए गए हमलें ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों से जारी युद्ध में पहली बार यूक्रेन के अधिकारी रशियन हमलों की तीव्रता के सामने यूक्रेन का प्रतिकार कमज़ोर साबित होने की बात मान रहे हैं।
अब तक के संघर्ष में सबसे अधिक तीव्रता का संघर्ष डोन्बास में जारी है, ऐसी प्रतिक्रिया यूक्रेन के वरिष्ठ मंत्री ने दी। सेवेरोडोनेत्स्क, लिमन और लिशिचान्स्क नामक तीनों शहरों को रशियन सेना ने लक्ष्य किया है। लिमन पर कब्ज़ा करने में रशिया कामयाब हुई और अगले कुछ दिनों में ‘स्लोविआन्स्क’ जैसा अहम शहर भी रशिया सेना के कब्ज़े में होगा, ऐसे संकेत यूक्रेन के ही अधिकारी दे रहे हैं।
डोन्बास का हिस्सा होनेवाले लुहानन्स्क के अधिकांश हिस्से में फिलहाल रशिया ने वर्चस्व बनाया हुआ है, ऐसी जानकारी यूक्रेन के स्थानीय अधिकारी ने प्रदान की। इस संघर्ष में रशिया हवाई हमले और आर्टिलरी फायर’ का प्रभावी इस्तेमाल करती सामने आ रही है। डोन्बास के बाद खार्किव शहर पर भी बुधवार को मिसाइल हमले होने की जानकारी सूत्रों ने साझा की।
इसी बीच, यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर झेलेन्स्की ने ज्येष्ठ अमरिकी कूटनीतिक हेन्री किसिंजर के बयान पर जोरदार आलोचना की है। रशिया के साथ शांति के लिए यूक्रेन अपना क्षेत्र कभी नहीं छोड़ेगा, ऐसा इशारा झेलेन्स्की ने दिया। किसिंजर के कैलेंडर पर संभवत: १९३८ साल होगा, लेकिन यह २०२२ साल चल रहा है, ऐसी फटकार झेलेन्स्की ने लगायी। साल १९३८ का ज़िक्र यानी दूसरे विश्वयुद्ध के समय पर किए गए चेक गणतंत्र के समझौते का दाखिला देनेवाला समझा जा रहा है।
जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ ने इशारा दिया है कि, यूक्रेन में शांति संबंधि निर्णय करने का अधिकार राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन को नहीं मिलेगा।
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