मास्को/माद्रिद – स्वीडन और फिनलैण्ड को नाटो द्वारा बहाल हो रही सदस्यता नाटो की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा का हिस्सा है, ऐसा इशारा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दिया। साथ ही यूक्रेन युद्ध के माध्यम से नाटो अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश कर रहा है, यह चेतावनी भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी। स्वीडन और फिनलैण्ड को सदस्य बनाने के लिए नाटो ने बुधवार को आमंत्रित करने का ऐलान किया था। इस पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष का बयान सामने आया है।
स्वीडन और फिनलैण्ड दोनों ने नाटो में शामिल होने की तैयारी शुरू की है। इसके लिए पिछले सात दशकों से अपनाई हुई गुटनिरपेक्षता की नीति दोनों ने छोड़ दी। लेकिन, स्वीडन और फिनलैण्ड के प्रवेश को नाटो सदस्य देश तुर्की ने विरोध किया था। अमरीका और नाटो के नेतृत्व की मध्यस्थता के बाद तुर्की ने अपना विरोध पीछे लिया। तुर्की ने मंगलवार को स्वीडन और फिनलैण्ड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस वजह से इन दोनों देशों का नाटो प्रवेश का रास्ता खुल गया है, ऐसा माना जा रहा है।
इस पृष्ठभूमि पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी भूमिका स्पष्ट की। ‘यूक्रेन की तरह स्वीडन और फिनलैण्ड के साथ रशिया का कोई विवाद नहीं है। इन देशों को नाटो में शामिल होना हो तो वे हो सकते हैं। अब तक रशिया को उनसे खतरा नहीं था लेकिन, नाटो ने स्वीडन और फिनलैण्ड में सेना तैनात की तो खतरा निर्माण होगा और इस खतरे को रशिया जैसे को तैसा प्रत्युत्तर देगी’, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी। स्वीडन और फिनलैण्ड को सदस्यता प्रदान करने की बात नाटो की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा दिखाती है, यह आरोप भी उन्होंने लगाया।
स्वीडन और फिलनैण्ड नाटो के सदस्य बनने पर उनके रशिया के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं और यह बात इन देशों ने ध्यान में रखनी होगी, इस पर भी पुतिन ने ध्यान आकर्षित किया। आने वाले समय में रशिया और नाटो के नए सदस्य देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है, ऐसा बयान भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इस दौरान किया। पुतिन ने इससे पहले भी फिनलैण्ड को भयंकर परिणामों की चेतावनी दी थी। रशिया ने फिनलैण्ड की र्इंधन सप्लाई भी रोक दी है। लेकिन, इसे अनदेखा करके फिनलैण्ड के साथ स्वीडन ने भी नाटो का हिस्सा बनने का निर्णय किया है। इस वजह से भविष्य में रशिया इन देशों के मोर्चे पर सेना तैनाती बढ़ा सकती है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
नाटो के विस्तार का मुद्दा रशिया और पश्चिमी देशों के संबंधों में लगातार तनाव का मुद्दा रहा है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इस मुद्दे पर हमेशा से आक्रामक भूमिका अपनाकर रशिया की रक्षा तैयारी बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही नाटो ने रशिया के प्रभाव क्षेत्र में घुसने की कोशिश की तो संघर्ष करने का इशारा भी दिया था। इस मुद्दे पर परमाणु युद्ध छिड़ सकता है, यह चेतावनी भी रशियन नेतृत्व ने दी थी।
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