वॉशिंग्टन – अल कायदा का प्रमुख आयमन अल जवाहिरी अमरीका के ड्रोन हमले में मारा गया है। अफ़गानिस्तान के काबुल में अमरिकी गुप्तचर संस्था ‘सीआईए’ ने ड्रोन से हेलफायर मिसाइल दागी और इस हमले में तकरीबन ढ़ाई करोड़ डॉलर्स का ईनाम जिसके सिर पर था वह खौफनाक आतंकी नेता मारा गया। अमरीका पर ९/११ का भयंकर आतंकी हमला करके तकरीबन २,९७७ लोगों की हत्या करने के लिए ओसामा बिन लादेन को जवाहिरी ने सहायता की थी। ‘जवाहिरी के मारे जाने से अमरीका को न्याय मिला है। अब विश्व में किसी को भी जवाहिरी से खतरा नहीं हो सकता’, इन शब्दों में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने संतोष व्यक्त किया। तो, तालिबान ने अमरीका के इस हमले को अंतरराष्ट्रीय नियम एवं दोहा समझौते का उल्लंघन बताकर शिकायत दर्ज़ की है।
अफ़गानिस्तान के काबुल में अल जवाहिरी अपने परिवार से मिलने गया था। तालिबान का प्रमुख गुट होनेवाले हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों ने जवाहिरी के लिए वहां पर सेफ हाऊस तैयार किया था। लेकिन, जवाहिरी के पीछे लगी अमरिकी गुप्तचर यंत्रमा ने यह अवसर पाकर इस सेफ हाऊस की बाल्कनी में खड़े जवाहिरी पर ड्रोन से हेलफायर मिसाइल दागी। इस हमले में जवाहिरी मारा गया। लेकिन, इस हमले में उसके परिवार को नुकसान नहीं पहुँचा, यह जानकारी अमरीका ने साझा की है। ‘हमने इस हमले के आदेश दिए थे और अमरिकी गुप्तचर यंत्रणाओं ने सटीक हमला करके जवाहिरी को मार दिया और अपनी क्षमता साबित की’, ऐसा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने कहा। आप कोई भी हों और कहीं भी छुपे हों, लेकिन, यदि आपने अमरिकी नागरिकों पर हमले किए तो आप बच नहीं सकते, यह संदेश जवाहिरी को खत्म करके अमरीका ने दिया है, ऐसा दावा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया।
काबुल जाने से पहले जवाहिरी पाकिस्तान में छुपा हुआ था। मई में उसे पाकिस्तान से काबुल भेजा गया था। यह काम तालिबान के हक्कानी गुट का कमांडर अझिज हक्कानी ने किया, ऐसी जानकारी अमरिकी माध्यमों ने दी है। विश्वसनीय सूत्रों के दाखिले से अमरिकी माध्यमों ने यह जानकारी साझा की। इस वजह से अल कायदा का पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन के बाद पाकिस्तान ने जवाहिरी को भी आश्रय दिया था, यह बात विश्व के सामने आ रही है। इस वजह से अभी भी पाकिस्तान के आतंकियों से संबंध होने की बात स्पष्ट हो रही है।
इसी बीच अमरीका ने जवाहिरी को मारने के बाद शुरू में हक्कानी गुट ने इस खबर का इन्कार किया था। लेकिन, कुछ समय बाद हक्कानी गुट को भी अमरीका के हमले में जवाहिरी मारे जाने की कबूली देनी पड़ी, इसके बाद तालिबान ने अमरीका के इस हमले का निषेध किया। अमरीका का यह हमला अंतरराष्ट्रीय नियम एवं तालिबान के साथ दोहा में किए गए समझौते का उल्लंघन है, ऐसा आरोप तालिबान ने लगाया है। लेकिन, अमरीका ने तालिबान का यह आरोप ठुकराते हुए कहा है कि, आतंकियों पर हमला करने से हमें रोकनेवाली कोई शर्त एवं धारा दोहा समझौते में नहीं था। तालिबान के कुछ नेता जवाहिरी को राष्ट्रीय सम्मान देने की माँग कर रहे हैं। इसी बीच तालिबान के विदेशमंत्री मोत्ताकी ने इसका विरोध किया है।
कुछ महीने पहले जवाहिरी ने अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, बांगलादेश और भारत में आतंकी हमले करने के लिए अल कायदा के नए गुट का ऐलान किया था। इस वजह से जवाहिरी के मारे जाने से भारत का खतरा काफी कम हुआ है। साथ ही जवाहिरी के बाद अल कायदा की बागड़ोर सैफ अल-अदेल को दी गई है, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुईं। ७१ की आयु का जवाहिरी सिर्फ वीडियो जारी करके आतंकियों को संदेश देने का काम कर रहा था। अल कायदा की गतिविधियों की ज़िम्मेदारी अदेल ही संभाल रहा था, ऐसी जानकारी भी सामने आ रही है।
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