किव – रशिया और यूक्रेन का युद्ध झपोरिशा परमाणु ऊर्जा प्रकल्प तक पहुँचा हैं। यहा से करीब हो रहें मिसाइल और रॉकेट हमलों की चपेट में झपोरिशा परमाणु ऊर्जा प्रकल्प आएगा और यूरोप के सबसे बड़े परमाणु प्रकल्प से विकिरण शुरू होगा, ऐसी भयंकर संभावना जताई जा रही हैं। यूक्रेन के सेना के जारी हमलों की वजह से इस परमाणु ऊर्जा प्रकल्प से विकिरण शुरू हुआ होता, ऐसा आरोप रशिया ने लगाया है। इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की नेयहां पर परमाणु दुर्घटना हुई तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी रशिया की ही होगी, ऐसा इशारा दिया है।
यूक्रेन का युद्ध अब अलग मोड़ पर पहुँचा हैं, यह दावा ब्रिटेन के सैन्य गुप्तचर विभाग ने किया। झपोरिशा का परमाणु ऊर्जा प्रकल्प दोनों देशों के युद्ध के दायरे में आया हैं और इसके काफी भयंकर परीणाम बन सकते हैं, इसका अहसास ब्रिटेन के ‘मिलिटरी इंटेलिजन्स’ ने कराया है। रशियन सेना नेइसी जानकारी साझा करते सम यह इशारा दिया कि, यूक्रेन की सेना ने गैरज़िम्मेदार पद्धती से किए हमले की वजह से झपोरिशा के परमाणु प्रकल्प से विकिरण शुरू हुआ तो, लेकिन सौभाग्यवश ऐसा नहीं हुआ है। ऐसें में यूक्रेन इसके लिए रशिया को ही ज़िम्मेदार बता रहा हैं। यहां पर परमाणु हादसा होता है और इससे नरसंहार हुआ होता तो इसका पूरा ज़िम्मा रशिया पर ही होगा, ऐसा इशारा यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने दिया है।
झपोरिशा परमाणु प्रकल्प का ज़िम्मा रशिया का ही हैं और इस परमाणु प्रकल्प को रशिया से खतरा हैं, यह सीर्फयूक्रेन की ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप के लिए यह गंभीर बात बन सकती हैं, ऐसा राष्ट्राध्या झेलेन्स्की ने कहा। रशिया के परमाणु आतंकवाद का यह और एक सबुत बनता है, ऐसा कहकर झेलेन्स्की ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय रशिया पर प्रतिबंध लगाए, यह आवाहन भी किया है।
रशिया ने फ़रवरी २४ को यूक्रेन पर हमला करने के बाद रशिया ने झपोरिशा के इस परमाणु प्रकल्प पर कब्ज़ा किया था। इस वजह से इसकी सुरक्षा का पुरा ज़िम्मा फिलहाल रशिया पर ही है। लेकिन, यूक्रेन की सेना के हमलों की वजह से इस प्रकल्प को खतरा बना है, इस बात पर रशिया ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
रशिया और यूक्रेन इस मुद्दे पर एक-दूसरें पर आरोप लगा रहे हैं और ऐसें में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग ने यहां की स्थिति अनिश्चित हैं, ऐसा बयान करके इसपर गंभीर चिंता जताई है। इसी बीच ६ अगस्त, १९४५ के दिन अमरीका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था। इससे १.४० लाख से भी अधिक लोग मारे गए थे। इसके बाद १५ अगस्त, १९४५ के दिन जापान के नागासाकी शहर पर परमाणु बम का प्रयोग करके अमरीका ७० हज़ार लोगों के मौत का कारण बनी थी। इसकी याद संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने ताज़ा की। पहले परमाणु हमले के ७७ वर्ष पूरे हो रहे हैं और ऐसें में विश्व को अभी भी परमाणु हमलों के भयंकर परिणामों का अहसास नहीं हुआ हैं, ऐसा अफसोस गुतेरस ने व्यक्त किया हैं।
जो परमाणु हथियार नहीं रखते ऐसें देश परमाणु हमले की भाषा कैसे कर सकते हैं, ऐसा सवाल गुतेरस ने किया हैं। इसके साथ ही विश्व अब ‘लोडेड गन’ यानी की बारूद से भरी बंदुक से खेल कर रहा हैं, यह कहकर परमाणु युद्ध के खतरे का गुतेरस ने ज़िक्र किया। यूक्रेन के झपोरिएशा परमाणु प्रकल्प को बना खतरा प्रचंड़ मात्रा में बढ़ रहा हैं और इसी बीच संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव ने दिया यह इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।
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