मास्को/बीजिंग – ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्थानीय मुद्राओं का बढ़ता इस्तेमाल अहम बात बनती है। राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा। इसके लिए एक-दूसरे के बाज़ार में वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के उपक्रमों का विस्तार होना ज़रूरी हैं। रशिया ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीकी देशों के साथ चीन की युआन मुद्रा का इस्तेमाल करके व्यापार करने की तैयारी दर्शायी है। युआन के कारोबार के लिए रशिया के भागीदार देश और उनके सहयोगी यंत्रणा विकसित करेंगे, इसका हमे भरोसा है’, ऐसी गवाही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी।
चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने तीन दिन रशिया का दौरा किया। दौरे के दूसरे दिन रशिया और चीन के राष्ट्राध्यक्ष के साथ दोनों देशों के शिष्टमंड़ल ने व्यापार, आर्थिक सहयोग, रक्षा भागीदारी समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान रशिया और चीन ने लगभग १४ समझौतों पर हस्ताक्षर करने की बात कही जा रही है। इनमें परमाणु समझौते के साथ कृषि, उद्योग, अनुसंधान, मीडिया, प्रौद्योगिकी, बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र से संबंधित समझौते हैं। इसके अलावा रशिया और चीन के बीच महत्वाकांक्षी ईंधन पाइपलाइन विकसित करने पर भी सहमति होने की जानकारी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने प्रदान की।
चीन और रशिया का व्यापार १५० अरब डॉलर्स तक बढ़ा हैं और साल २०२३ के अन्त तक यह बढ़कर २०० अरब डॉलर्स होने का अनुमान है। पिछले साल से दोनों देशो का व्यापार ३० प्रतिशत बढ़ा हैं और इसमें ईंधन का हिस्सा सबसे अधिक हैं। रशिया अब चीन के लिए सबसे बड़ा ईंधन निर्यातक देश बना होने की जानकारी हाल ही में सामने आयी थी। ऐसे में चीन से रशिया को यंत्र, सेमीकंडक्टर्स एवं कच्चे सामान की निर्यात होने की बात देखी गई है।
व्यापार के साथ ही रक्षा भागीदारी अधिक मज़बूत करने का निर्णय भी पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात में किया गया। दोनों नेताओं ने ‘ऑकस सबमरिन डील’ एवं नाटो की बढ़ती गतिविधियों की आलोचना की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी व्यवस्था बरकरार रखने के लिए रशिया और चीन एकसाथ काम करेंगे, इसपर दोनों नेताओं की जानकारी भी सूत्रों ने साझा की। इस दौरान पुतिन ने रशिया-यूक्रेन युद्ध का हल निकालने के लिए चीन ने रखा शांति प्रस्ताव नींव साबित हो सकता है, ऐसा दावा करने की भी चर्चा है।
रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर पश्चिमी देशों की रशिया को अलग-थलग करने की कोशिश जारी हैं। वहीं, दूसरी ओर ताइवान समेत अन्य मुद्दों पर अमरीका और यूरोपिय देश चीन को घेरने की गतिविधियां कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि के चलते रशिया और चीन ने एक-दूसरें की नज़दिकियां अधिक बढ़ाई हैं और अन्य मित्र देशों की सहायता से अमरीका को खुली चुनौती देने की तैयारी शुरू की है। पुतिन और जिनपिंग की बैठक और इस दौरान हुई चर्चा एवं समझौता उसी तैयारी का हिस्सा बनते हैं।
अमरीका के प्रभाव को चुनौती देने के लिए रशिया-चीन की नज़दिकियां – अमरिकी प्रवक्ता का दावा
वॉशिंग्टन – रशिया और चीन की बढ़ रही नज़दिकियां अमरीका के प्रभाव को चुनौती देने की कोशिशों का हिस्सा हैं, ऐसा दावा अमरीका के ‘नैशनल सिक्योरिटी कौन्सिल’ के प्रवक्ता जॉन किरबाय ने किया है। अमरीका और पश्चिमी देश नियमों पर आधारित व्यवस्था बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं और रशिया-चीन इसके विरोध में सक्रिय हैं, ऐसा आरोप किरबाय ने लगाया।
‘रशिया और चीन को खेल के नियम बदलने हैं। इसके लिए वह एक-दूसरे को उपयुक्त मित्र के तौर पर देख रहे हैं। एक-दूसरे का इस्तेमाल करके अमरिकी नेतृत्व और पश्चिमियों को चुनौती देना रशिया और चीन का उद्देश्य हैं’, इन शब्दों में किरबाय ने रशिया और चीन की बढ़ती नज़दिकियों पर अपनी भूमिका स्पष्ट की। साथ ही रशिया-यूक्रेन युद्ध में चीन की भूमिका निष्पक्ष होने का चीन ने किया दावा भी किरबाय ने ठुकराया हैं।
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