सिंगापूर – ‘ताइवान की खाड़ी में शांति और स्थिरता क़ायम रखने में ही दुनिया का हित समाया हुआ है। व्यापारी जहाजों का मार्ग, जागतिक सप्लाई चैन और सागरी यातायात की आज़ादी की सुरक्षा, इस सागरी क्षेत्र पर निर्भर हैं। इसीलिए अगर ताइवान की खाड़ी में संघर्ष भड़का ही, तो सोच भी नहीं सकते इतने विनाशकारी परिणाम जागतिक अर्थव्यवस्था को सहने पड़ेंगे’, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने चीन को दी। साथ ही, इस क्षेत्र में अमरीका के मित्र तथा सहयोगी देशों के विरोध में चीन की मग़रूरी हरगिज बर्दाश्त नहीं की जाएगी, ऐसा रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने शांग्री-ला की बैठक में डटकर कहा। लेकिन चीन ने, हमारे क्षेत्र में हमें क्या करना चाहिए यह अमरीका ने बताने की ज़रूरत नहीं है, इन शब्दों में अमरीका को फटकार लगाई है।
सिंगापुर में आयोजित की जाने वाली ‘शांग्री-ला’ इस वार्षिक सुरक्षा बैठक में अमरीका और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच चर्चा होने वाली थी। लेकिन दो दिन पहले अमरीका ने ताइवान के साथ व्यापारिक सहयोग घोषित किया। इस पर गुस्सा ज़ाहिर करके चीन ने, अमरीका के रक्षा मंत्री के साथ होने वाली इस बैठक को रद्द कर देने की खबरें जारी हुई थीं। लेकिन चीन के इस फ़ैसले के लिए पाँच साल पहले की अमरीका की भूमिका ज़िम्मेदार है, यह बात सामने आ रही है।
सन 2018 में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे । उनमें चीन के विद्यमान रक्षा मंत्री ली शांग्फू का समावेश था। चीन के साथ सहयोग स्थापित करने की कोशिश कर रहा बायडेन प्रशासन, पहले रक्षामंत्री ली शांग्फू तथा हमारे अन्य अधिकारियों पर थोपे हुए प्रतिबंध हटाएँ, ऐसी मांग चीन ने की थी। बायडेन प्रशासन ने यह मांग मान ली थी।
लेकिन तांत्रिक कारणों की वजह से बायडेन प्रशासन को चीन के रक्षा मंत्री पर थोपे प्रतिबंध हटाना संभव नहीं हुआ था। इस कारण चीन ने ऑस्टिन तथा शांग्फू के बीच की बैठक रद्द कर दी। उसी के साथ, चीन के रक्षा मंत्री ने अमरीका के रक्षा मंत्री का फोन भी नहीं उठाया था। इस पर इस बैठक में अमरीका के रक्षा मंत्री ने नाराज़गी ज़ाहिर की। चर्चा से सारे मसलों का हल मिल जाएगा, ऐसा कहकर ऑस्टिन ने चीन को चर्चा का प्रस्ताव दिया। लेकिन चीन ने अमरीका का यह प्रस्ताव ठुकराया हुआ दिखाई दे रहा है।
इस पृष्ठभूमि पर, शांग्री-ला बैठक में बात करते समय ऑस्टिन ने, ताइवान तथा ईस्ट और साउथ चाइना सी में चल रहे चीन के वर्चस्ववादी कारनामों का मुद्दा उपस्थित करके इस देश की आलोचना की। मुक्त, खुले और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का अमरीका समर्थन करती रहेगी, ऐसा ऑस्टिन ने कहा।
‘इस क्षेत्र के हालात बिगड़ कर संघर्ष ना भड़के, इसके लिए अमरीका के प्रयास जारी हैं। ताइवान और साउथ चाइना सी के क्षेत्र से हर देश हवाई, सागरी प्रवास कर सकें और अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का पालन हो, इसके लिए अमरीका कोशिश कर रही है। ऐसा नहीं है कि यह संघर्ष तुरंत ही भड़केगा और उसे टाला नहीं जा सकता। ज़बरदस्त प्रतिकार की क्षमता बढ़ाकर, इस स्थिति में बदलाव ना हो, इस पर अमरीका ध्यान दे रही है, ऐसा रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने इस समय कहा।
चीन ताइवान पर हमला करने का विचार भी ना करें, इतने स्तर पर लष्करी क्षमता विकसित करने के लिए अमरीका गतिविधि करेगी, ऐसा रक्षा मंत्री ऑस्टिन के बयानों से स्पष्ट हो रहा है। इसके लिए अमरीका ने ताइवान को लष्करी सहायता की आपूर्ति करने की तैयारी की दिख रही है। पहले के दौर में ताइवान के लिए घोषित किए हथियार तथा रक्षा सामग्री, अमरीका ने युक्रेन के लिए इस्तेमाल की थी। उसका फ़ायदा उठाकर चीन ने ताइवान के विरोध में कारनामे बढ़ाए थे। लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अमेरिकन राष्ट्राध्यक्ष बायडेन पर दबाव बढ़ने के बाद उनकी भूमिका में बदलाव हुआ दिखाई दे रहा है।
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