स्टॉकहोम – ‘पिछले कुछ सालों में चीन ने अपने परमाणु हथियारों का जखीरा तेज़ी से बढ़ाना शुरू किया है। इसकी गति जारी रहेगी और साल २०३० तक चीन के बेड़े में अमरीका या रशिया जितने अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (परमाणु क्षमता के) होंगे। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक रहेंगे उतने परमाणु अस्त्र हमारे बेड़े में रखेंगे, यह दावा चीन ने किया था। लेकिन, उसके परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने की गति इस दावे से मेल नहीं करती’, ऐसी चेतावनी ‘स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इन्स्टीट्यूट’ (सिप्री) ने दी है।
अमरीका ने कुछ दिन पहले ही परमाणु अस्त्रों की संख्या कम करने के लिए किए गए ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ संबंधित नया प्रस्ताव रशिया के सामने रखने के संकेत दिए थे। इस प्रस्ताव में चीन के परमाणु अस्त्रों की बढ़ती संख्या का ज़िक्र करके इस देश को भी इस समझौते में शामिल करने की तैयारी होने की बात कही गई थी। लेकिन, रशिया और चीन इन दोनों देशों ने अमरीका का आवाहन ठुकराया था। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने रशिया फिर से ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ में शामिल नहीं होगी, ऐसी चेतावनी स्पष्ट शब्दों में दी थी। साथ ही रशिया जल्द ही बेलारूस में ‘टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स’ तैनात करेगी, यह ऐलान भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया था।
इस पृष्ठभूमि पर ‘सिप्री’ की रपट से सामने आयी जानकारी ध्यान आकर्षित कर रही हैं। दुनियाभर के फिलहाल नौ देश परमाणु देश कहे जाते है। इन सभी देशों ने अपने परमाणु अस्त्रों का भंड़ार बढ़ाने के साथ इसे उन्नत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स जैसे देश परमाणु अस्त्रों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं और इसके लिए अरबों डॉलर्स खर्च कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर चीन, रशिया और उत्तर कोरिया जैसे देश परमाणु अस्त्रों की संख्या नए से बढ़ा रहे हैं, ऐसी चेतावनी ‘सिप्री’ ने दी है।
पिछले एक साल से चीन ने अपने परमाणु अस्त्रों के निर्माण की गति काफी बढ़ाई हैं। एक साल में चीन के परमाणु हथियारों की संख्या ३५० से बढ़कर ४१० हुई हैं। मात्र एक वर्ष में चीन के परमाणु अस्त्रों की संख्या में १७ प्रतिशत इजाफा हुआ है। आगे के दौर में भी यह बढ़ोतरी जारी रहेगी, ऐसा इशारा ‘सिप्री’ ने अपनी रपट में दिया है। रशिया ने अपने परमाणु अस्त्रों की संख्या में १२ का इजाफा किया है और उत्तर कोरिया के परमाणु अस्त्रों की संख्या में ५ की वृद्धि होने की ओर इस अभ्यास गुट ने ध्यान आकर्षित किया है।
परमाणु अस्त्र धारी देश अधिक से अधिक आक्रामक हो रहे हैं। इनमें से कुछ देश खुलेआम इनका इस्तेमाल करने की धमकी भी दे रहे हैं। परमाणु अस्त्रों की स्पर्धा तीव्र हो रही हैं। इस बढ़ती तीव्रता के कारण दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल होने का खतरा अधिक बढ़ने का अहसास ‘सिप्री’ के विश्लेषक एवं विशेषज्ञों ने कराया। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर परमाणु अस्त्रों के मुद्दे पर शुरू राजनीतिक गतिविधियों को भारी नुकसान पहुंचने की ओर भी ‘सिप्री’ ने ध्यान आकर्षित किया है।
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