यांगून – म्यांमार की जुंटा हुकूमत और सशस्त्र विद्रोही गुटों के बीच नए से संघर्ष भड़का है और इस वजह से कुल २६ हजार लोग विस्थापित होने की जानकारी संयुक्त राष्ट्र संघ ने साझा की। म्यांमार के राखिन प्रांत में सोमवार से तीव्र लड़ाई शुरू हुई और काफी मात्रा में लोगों के हताहत होने का दावा भी किया गया है। कुछ दिन पहले ही चिन स्टेट में सशस्त्र विद्रोहियों के गुट ने सेना के कुछ ठिकानों के साथ कई जगहों पर कब्ज़ा पाने की खबर सामने आयी है।
म्यांमार की सेना ने वर्ष २०२१ के फ़रवरी महीने में विद्रोह करके जनतांत्रिक नेताओं को हिरासत में लिया था। इनमें म्यांमार की सर्वोच्च नेता आँग सैन स्यू की के साथ ४०० से अधिक नेता और अधिकारियों का समावेश था। इस कार्रवाई के बाद पूरे देश में जमकर प्रदर्शन शुरू हुए थे। लेकिन, म्यांमार की सेना ने हिंसा और दबाव का इस्तेमाल करके प्रदर्शनों को कुचला था। इसके बावजूद जुंटा हुकूमत के विरोध में अभी भी प्रदर्शन शुरू हैं।
कुछ महीने पहले म्यांमार में जुंटा हुकूमत के विरोध में लड़ रहे कई सशस्त्र विद्रोही गुट साथ मिले थे। उन्होंने जनतांत्रिक प्रदर्शनकारियों ने गठित किए ‘नैशनल युनिटी गव्हर्नमेंट’ को समर्थन घोषित किया था। ‘नैशनल युनिटी गव्हर्नमेंट’ के लिए जुंटा हुकूमक के विरोध में संघर्ष करने का इशारा विद्रोही गुटों ने दिया था। इसके बाद विद्रोही गुटों के वर्चस्व वाले प्रांतों में लगातार संघर्ष होता दिख रहा है। विद्रोही गुटों को रोकने के लिए म्यांमार की सेना ने हवाई हमलों के साथ व्यापक अभियान भी शुरू किया था। लेकिन, इसे उम्मीद के अनुसार कामयाबी हासिल नहीं हुई।
चिन स्टेट में कुछ दिन पहले सैन्य ठिकानों के साथ गावों पर हुए हमलों ने ध्यान खींचा हैं। इन हमलों में सेना के जवान शरण आने के दावे किए गए और स्थानिय लोगों ने पड़ोसी देशों में स्थानांतरण करना शुरू किया है। भारत में लगभग पांच हजार से भी अधिक म्यांमारी नागरिक दाखिल होने की जानकारी हाल ही में सामने आयी थी। अब राखिन प्रांत में भड़के संघर्ष के बाद म्यांमार से दूसेर देश भार रहे शरणार्थियों की संख्या फिर से बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
चिन स्टेट और राखिन प्रांत में बढ़ते संघर्ष की वजह से जुंटा हुकूमत का म्यांमार पर नियंत्रण कमज़ोर होता दिख रहा है। इस वजह से अपना वचस्व कायम रखने के लिए जुंटा हुकूमत बड़े हमले करेगी, यह ड़र विश्लेषक और स्थानिय माध्यमों ने जताया है।
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