अबु धाबी – अस्थिरता के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच रहा हैं, ऐसा इशारा विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख एन्गोझी ओकोन्जो-इवेला ने दिया। अनाज, ईंधन और ऊर्जा की कीमत का भारी उछाल हुआ है और इससे आम जनता की जेब कट रही है। इससे जनता में भी निराशा की भावना फैली है और इस वर्ष विश्व के कई कोनों में होने वाले चुनाव पर इसका असर होता दिखाई देगा, ऐसा इशारा भी ओकोन्जो-इवेला ने दिया है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित विश्व व्यापार संगठन की सालाना बैठक सोमवार से शुरू हुई। इस बैठक की पृष्ठभूमि पर संगठन के प्रमुख ओकोन्जो-इवेला ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी भूमिका रखी। ‘विश्व के कोने कोने में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ती दिखाई दे रही है। वैश्विक स्तर की स्थिति हर दिन कठिन हो रही है। बहुपक्षीयता पर हमले हो रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था में सुधार करने की ज़रूरत हैं। साथ ही एक-दूसरे केसाथ सहयोग बढ़ाने की भी आवश्यकता महसूस हो रही है’, ऐसा इशारा विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख एन्गोझी ओकोन्जो-इवेला ने दिया।
वैश्विक व्यवस्था खंड़ित हो रही हैं और इसका असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी हो रहा है। पिछले साल वैश्विक स्तर के व्यापार में बड़ी गिरावट हुई है और संगठन के अनुमान के अनुसार उद्देश्य प्राप्त करने में नाकामी हासिल हुई है, ऐसा ओकोन्जो-इवेला ने कहा। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में टूकड़े होने की प्रक्रिया शुरू रही तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच सकता है। विकसित और विकासशील इन दोनों तरह के देशों को नुकसान बर्दाश्त करने होंगे, इसका अहसास व्यापार संगठन के प्रमुख ने कराया।
कोरोना का फैलाव और रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर पिछले दो सालों से वैश्विक अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू है और नए साल में भी यही रूख कायम रहने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस्रायल हमास युद्ध और रेड सी में हौथी के जारी हमलों के कारण व्यापार को हुए नुकसान के परिणाम दिखाई देना शुरू हुआ है। कई देशों में अनाज और रोज के लिए आवश्यक सामान की कीमत की बढ़ोतरी शुरू हुई है। रेड सी में तनाव बना रहा तो विश्व के विभिन्न देशों में फिर से महंगाई का उछाल होने की संभावना जताई जा रही है।
पिछले महीने सामने आयी वर्ल्ड बैंक की नई रपट में भी लगातार तीसरे साल वैश्विक अर्थव्यवस्था की गिरावट होने की चिंता जताई गई थी। साथ ही २०२०-३० का दशक खोए अवसर का दशक कहा जा सकता है, ऐसा इशारा भी दिया गया था। वैश्विक व्यापार धीमा होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं और इससे सबसे अधिक नुकसान विकासशील देशों को पहुंचेगा, इस ओर वर्ल्ड बैंक ने अपनी रपट में ध्यान आकर्षित किया था। मंदी का खतरा कुछ मात्रा में कम हुआ है, फिर भी भू-राजनीतिक तनाव के कारण आर्थिक विकास को बड़ा नुकसान पहुंचने का ड़र इस रपट में जताया गया था।
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