कोलकाता – भारतीय रक्षा दलों के साथ देश की संवेदनशील यंत्रणा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बन रहा सायबर हमलों का बढता खतरा ध्यान में रखकर रक्षा विभाग ने स्वतंत्र ‘सायबर एजन्सी’ का गठन करने के लिए गतिविधियां शुरू की है। इस संबंधी प्रस्ताव अंतिम स्तर पर है और ‘इंटिग्रेटेड डिफेन्स स्टाफ’ (आईडीएस) के अंतर्गत यह नई सायबर एजन्सी कार्यरत होगी, यह जानकारी सेना की ‘ईस्टर्न कमांड’ के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल एम.एम.नरवणे इन्होंने दी।
भारत के लिए खतरा बन रहे सायबर हमलों के बारे में रक्षा बलें ज्ञात है और उसी में से नई सायबर एजन्सी का निर्माण करने की संकल्पना सामने?आयी है। इस एजन्सी में लष्करी, वायु सेना और नौसेना इन तीनों बलों के अधिकारी और तज्ञों का समावेश रहेगा। ‘आईडीएस’ का नियंत्रण करनेवाली इस यंत्रणा से सायबर क्षेत्र से जुडे सभी खतरों का विचार होगा, यह ‘ईस्टर्न कमांड’ के प्रमुख ने कहा है।
‘टू स्टार रैंक ऑफिसर’ के हाथ इस सायबर एजन्सी की जिम्मेदारी रहेगी और देश भर में इस एजन्सी की युनिटस् कार्यरत होगी, यह लेफ्टनंट जनरल एम.एम.नरवणे इन्होंने स्पष्ट किया। ‘सुरक्षा दलों के तीनों दलों की मुख्यालय में सायबर एजन्सी के अंतर्गत स्वतंत्र अधिकारी तैनात होंगे। इन अधिकारियों पर सायबर सुरक्षा से जुडी हर एक बात पर नजर रखने की और उनसे मुकाबला करने की जिम्मेदारी रहेगी’, इन शब्दों में ‘ईस्टर्न कमांड’ के प्रमुख ने इस नई यंत्रणा से जुडी अधिक जानकारी दी।
भारत में पिछले कुछ वर्षों में सायबर हमलें और सायबर क्षेत्र से जुडें अपराधों में लगातार बढोतरी हो रही है। केंद्र सरकार ने सायबर सुरक्षा के लिए स्वतंत्र यंत्रणा का निर्माण किया है, फिर भी सायबर हमलों का प्रमाण और दायरा रोकना मुमकिन नही हुआ है। पिछले वर्ष केंद्रीय गृहमंत्रालय ने सायबर सुरक्षा क्षेत्र के समन्वय के लिए ‘सायबर क्राईम को-ऑर्डिनेशन सेंटर’ का गठन करने का निर्णय किया था। उसमें ‘स्टेट सायबर क्राईम को-ऑर्डिनेशन सेल’ तैयार करने के लिए भी निर्देश दिए गए थे।
इस पृष्ठभुमि पर सुरक्षा दल ने स्वतंत्र सायबर एजन्सी का गठन करने संबंधी किया निर्णय अहम माना जाता है।
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