हाँगकाँग/बीजिंग – तिआनमिन समेत अन्य मुद्दों पर आंतर्राष्ट्रीय समुदाय दख़लअन्दाज़ी ना करें, इसके लिए चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत द्वारा जारी दबाव की सारीं कोशिशें नाक़ाम हुईं दिख रहीं हैं। गुरुवार को तिआनमिन हत्याकांड के स्मृतिदिन को अमरीका के युद्धपोत ने तैवान की ख़ाड़ी में गश्त करते हुए, चीन की चेतावनियों की हम परवाह करनेवाले नहीं हैं, यह दिखा दिया। उसी समय हाँगकाँग की जनता ने, तिआनमिन की यादें जगाने के लिए भारी संख्या में सड़कों पर उतरकर चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत को खुलेआम चुनौती दी। सुरक्षा क़ानून के माध्यम से हाँगकाँग पर कब्ज़ा करने की कोशिश करनेवाली चीन की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ की हुई यह कृति सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित हुई है।
पिछले कुछ सालों से अमरीका और चीन में व्यापारी, आर्थिक तथा राजनीतिक स्तर पर ज़बरदस्त संघर्ष जारी है। दोनों देश एक-दूसरे को लक्ष्य करने का एक भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं देते; ऐसे में, कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर, यह संघर्ष शीतयुद्ध की दहलीज़ तक आ पहुँचा है, ऐसा माना जाता है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और प्रशासन के अन्य सहकर्मियों द्वारा लगातार दबाव डालने की कोशिशें जारी हैं। कुछ ही दिन पहले, अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने हाँगकाँग और तिआनमिन मामले में चीन को फ़टकार लगाई थी।
तिआनमिन का मुद्दा यह चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत के लिए बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। ४ जून, १९८९ को चीन की हुक़ूमत ने राजधानी बीजिंग में जनतंत्र के लिए आंदोलन करनेवाले युवाओं पर लष्करी ताकत का इस्तेमाल करके क्रूर हत्याकांड कराया था। इसमें हज़ारो लोगों की जान गयी थी। लेकिन अपनी प्रचंड राजनीतिक और लष्करी ताकत का इस्तेमाल करके चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने केवल इन प्रदर्शनों के एवं हत्याकांड का ही नहीं, बल्कि इस आंदोलन का सारा इतिहास दबा दिया था। आज भी चीन में इस मामले का ज़िक्र करने पर पूरी तरह पाबंदी है। ऐसा होने के बावजूद भी. पिछले साल तक हाँगकाँग में तिआनमिन हत्याकांड के स्मृतिदिन पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। चीनपरस्त प्रशासन ने कई पाबंदियाँ लगाने के बावजूद भी, हाँगकाँग की जनता यह स्मृतिदिन उत्स्फूर्त रूप में मनाया करती थी। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका और हाँगकाँग की जनता ने की हुई कृति अहम साबित होती है। अमरीका के ‘पॅसिफिक फ्लीट’ का भाग होनेवाले ‘युएसएस रसेल’ इस विनाशक युद्धपोत ने गुरुवार को तैवान की ख़ाड़ी में से प्रवास किया होने की जानकारी अमरीका की नौसेना द्वारा दी गयी। इससे पहले चीन ने, तिआनमिन मामले के साथ साथ, तैवान को अमरीका द्वारा की जा रही सहायता के मुद्दे पर अमरीका के विरोध म्रें ज़ोरदार आलोचना की है। लेकिन उसे अनदेखा करते हुए इन दोनों मुद्दों पर अमरीका ने अपनी भूमिका क़ायम रखी है। गुरुवार को तिआनमिन हत्याकांड के स्मृतिदिन पर तैवान की ख़ाड़ी में युद्धपोत भेजकर अमरीका ने चीन को तीख़ा संदेश दिया है, ऐसा माना जाता है।
उसी समय, दूसरी ओर हाँगकाँग की जनता ने भी चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत के विरोध में संघर्ष जारी रखने का अपना निर्धार तिआनमिन के मामले में व्यक्त किया। हाँगकाँग के चीनपरस्त प्रशासन ने कोरोना महामारी का बहाना बनाकर, अपने ही नागरिकों को तिआनमिन के स्मृतिदिन पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नकारी थी। गत दो दशकों से भी अधिक समय से हाँगकाँग की जनता, तिआनमिन की स्मृतियाँ जगाने के लिए सड़कों पर उतरती है। इस साल प्रशासन ने अनुमति नकारते समय ही बड़े पैमाने पर सुरक्षायंत्रणाएँ तैनात कीं थीं। लेकिन इस दबाव को ठुकराकर हाँगकाँग के हज़ारों नागरिक गुरुवार शाम को मोबाईल, मोमबत्तियाँ और तिआनमिन के बॅनर्स लेकर व्हिक्टोरिया पार्क भाग में दाखिल हुए।
नये सुरक्षा क़ानून के ज़रिये हाँगकाँग पर पकड़ मज़बूत करने की कोशिशें और लष्कर उतरवाने के संदर्भ में दी हुई धमकी, ऐसी पृष्ठभूमि होने पर भी हाँगकाँग की जनता ने की हुई कृति, कम्युनिस्ट हुक़ूमत को दिया बड़ा झटका साबित होता है। इससे हाँगकाँग के जनतंत्रवादी आंदोलकों का आत्मविश्वास अधिक बढ़ता दिखायी देता होकर, इसकी बहुत बड़ी गूँजें आनेवाले समय में सुनायीं दे सकतीं हैं।
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