वॉशिंग्टन – चीन द्वारा साऊथ चायना सी में कीं जानेवालीं हरक़तों की तीव्रता बढ़ रही होकर, उन्हें रोकने के लिए अमरिकी नौसेना ने भी अपनी क्षमताएँ बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। आनेवाले साल भर में अमरिकी नौसेना में ‘लेझर वेपन्स’, ‘सबमरिन ड्रोन्स’ एवं हायपरसोनिक मिसाईल्स शामिल होंगे, ऐसा दावा अमरिकी वेबसाईट्स तथा रक्षा विभाग से निगडित माध्यमों द्वारा किया गया है। इसके लिए लगभग पाँच अरब डॉलर्स की आवश्यकता बतायी जाती है।
पिछले सालभर में चीन की नौसेना ने साऊथ चायना सी समेत ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र म्रें ज़ोरदार हरक़तें शुरू कीं हैं। चीन के युद्धपोत, पनडुब्बियाँ, गश्तीपोत, साथ ही लड़ाक़ू विमान अन्य देशों की सीमा में घुसपैंठ की कोशिशें कर रहे होने की घटनाएँ लगातार सामने आ रहीं हैं। उसी समय चीन ने साऊथ चायना सी में अड्डों की संख्या बढ़ाना शुरू किया होकर, हैनान भाग में कम से कम तीन नये अड्डों का निर्माण किया है, ऐसा सॅटेलाईट फोटोग्राफ्स से दिखायी दिया है। अड्डों के साथ ही पनडुब्बियाँ, विध्वंसक तथा ‘ऍम्फिबियस वॉरशिप्स’ का निर्माण भी तेज़ी से चालू है। इन युद्धपोतों के लिए नये क्षेपणास्त्र, हेलिकॉप्टर्स भी विकसित किये जा रहे हैं।
चीन की नौसेना ने संख्यात्मक दृष्टि से अमरिकी नौसेना को पिछड़कर दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना होने का सम्मान भी प्राप्त किया है। चीन की नौसेना के विस्तार पर और बढ़तीं हरक़तों पर रोक लगाने के लिए अमरिकी नौसेना ने भी अपनी गतिविधियाँ तेज़ कीं हैं। इस महीने की शुरुआत में अमरिकी नौसेना ने अगले तीन दशकों के लिए योजना घोषित की थी। उसके तहत अगले दशकभर में अमरीका के युद्धपोतों की संख्या ३४७ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया था। साथ ही, पनडुब्बियाँ और ड्रोन्स की संख्या बढ़ाने के संकेत भी दिये गए थे।
इस दृष्टि से अमरिकी नौसेना ने कदम उठाना शुरू किया होने का दावा ‘द नॅशनल इंटरेस्ट’ इस वेबसाईट पर किया गया है। अमरीका के वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ऍडमिरल मायकल गिल्डे ने हाल ही में एक कार्यक्रम में, नौसेना ने नयीं पनडुब्बियों के साथ हायपरसोनिक मिसाईल्स और लेझर यंत्रणाओं के लिए कोशिशें शुरू कीं हैं, ऐसा बयान किया है। इन सबकी ख़रीद के लिए पाँच अरब डॉलर्स की निधि लगेगी, ऐसा भी उन्होंने कहा। अगले कुछ वर्षों में अमरिकी नौसेना के विमानवाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक तथा ‘ऍम्फिबियस वॉरशिप्स’ पर लेझर यंत्रणाएँ तैनात होंगी, ऐसे संकेत दिये गए हैं।
‘द वॉर झोन’ इस रक्षाविषयक वेबसाईट ने दी हुई जानकारी में, ‘अंडरवॉटर ड्रोन्स’ की योजना की गति बढ़ाने की बात बतायी गयी है। ये ड्रोन्स ‘स्नेकहेड प्रोग्राम’ के तहत विकसित किये जा रहे होकर, परमाणु पनडुब्बियों में तैनात किये जानेवाले हैं। इसके अलावा नये ‘डिफेन्स बजेट’ में, नौसेना ने तीन अलग अलग प्रकार के मानवरहित युद्धपोतों की माँग की है, यह भी सामने आया है। अमरिकी संसद ने पिछले हफ़्ते में जारी की रिपोर्ट में इसका उल्लेख है। फिलहाल पाँच बड़े मानवरहित युद्धपोतों का निर्माण शुरू होने की जानकारी इसमें दी गयी है।
अमरिकी नौसेना के लिए ‘कन्व्हेंशनल प्रॉम्प्ट स्ट्राईक’(सीपीएस) नामक स्वतंत्र हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र भी विकसित किया जा रहा है। इस मामले में अमरीका की ‘लॉकहिड मार्टिन’ इस अग्रसर कंपनी को काँट्रॅक्ट दिया गया है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने दावा किया है कि नौसेना के सभी ‘गायडेड मिसाईल डिस्ट्रॉयर्स’ पर हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र तैनात किये जायेंगे।
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