‘ईस्ट चायना सी’ में संयुक्त युद्धाभ्यास की घोषणा करके जापान और ब्रिटेन की चीन को चेतावनी

‘ईस्ट चायना सी’ में संयुक्त युद्धाभ्यास की घोषणा करके जापान और ब्रिटेन की चीन को चेतावनी

टोकिओ/लंडन – ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र ने गश्ती के लिए रवाना होने वाला ब्रिटेन का विमानवाहक युद्धपोत जापान के साथ युद्ध अभ्यास में सहभागी होने वाला है। जापान और ब्रिटेन के विदेश और रक्षा मंत्रियों में हुई ‘टू-प्लस-टू’ बैठक में यह घोषणा की गई। जापान और ब्रिटेन की यह घोषणा चीन के लिए चेतावनी साबित होती है। साथ ही ‘ईस्ट तथा साऊथ चायना सी’ के क्षेत्र में प्रवास करने वाले विदेशी जहाजों पर लष्करी कार्रवाई का कानून बनानेवाले चीन की ब्रिटेन के नेताओं ने आलोचना की। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोकतंत्रवादी देशों के मोरचे में सहभागी होने की तैयारी ब्रिटेन ने इससे पहले ही दर्शाई थी।

जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सू मोतेगी और रक्षा मंत्री नोबुओ किशी तथा ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक राब और रक्षा मंत्री बेन वॉलेस के बीच हाल ही में व्हिडिओकॉन्फरन्स के जरिए बैठक संपन्न हुई। ३ साल बाद पहली ही बार हुई इस टू-प्लस-टू बैठक मेें चारों नेताओं में ईस्ट तथा साऊथ चायना सी, हॉंगकॉंग, उइगरवंशिय, तैवान इन मुद्दों पर चर्चा हुई। समान मूल्य और सामरिक हितसंबंधों के मोरचे पर ब्रिटेन और जापान में एकमत है, ऐसा ब्रिटन ने इस समय घोषित किया।

ब्रिटन की नौसेना के ‘एचएमएस क्विन एलिझाबेथ’ इस विमानवाहक युद्धपोत की गश्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अपने मित्र देशों के प्रति हमारी वचनबद्धता दिखा देने वाली है, ऐसा रक्षा मंत्री वॉलेस ने कहा। इस सागरी क्षेत्र में परिवहन आन्तर्राष्ट्रीय नियमों पर आधारित और सुरक्षा एवं समृद्धि को प्रोत्साहित करने वाला हों, ऐसी टिप्पणी करके ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने चीन को लक्ष्य किया। ‘ईस्ट तथा साऊथ चायना सी’ के क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन ने बनाये कानून पर भी ब्रिटेन ने चिंता जताई।

वहीं, ब्रिटेन और जापान के युद्ध अभ्यास में ‘एचएमएस क्विन एलिझाबेथ’ युद्ध पोत का सहभाग बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसा जापान ने कहा है। लगभग महीने भर पहले ब्रिटेन ने ‘एफ-३५’ विमानों से लैस होने वाला अपना विमानवाहक युद्धपोत ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के लिए रवाना करने की घोषणा की थी। इस साल के अंत तक अपना युद्धपोत इस सागरी क्षेत्र में दाखिल होगा, ऐसा ब्रिटेन ने कहा था। ब्रिटेन की इस घोषणा की चीन ने जोरदार आलोचना की थी। साथ ही, ब्रिटेन की इस तैनाती के खिलाफ सुयोग्य कार्रवाई करने की चेतावनी भी चीन ने दी थी।

युरोपिय महासंघ से ‘एक्झिट’ किए हुए ब्रिटेन ने पिछले कुछ हफ्तों से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ओर अपना रुख किया है। साथ ही, चीन की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ भी ब्रिटेन में बोरीस जॉन्सन की सरकार भूमिका अपना रही है। फ्रान्स ने भी ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ नया मोरचा खोलने का ऐलान किया था। पिछले साल तीनों देशों के नेताओं में इस संदर्भ में वर्चुअल बैठक भी संपन्न हुई थी।

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