पॅरिस/एन्डजमेना – अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में हिंसाचार करानेवाले अल कायदा तथा उससे जुड़े आतंकवादी गुटों को खत्म करने के लिए फ्रान्स इस क्षेत्र में अपनी लष्करी तैनाती इसके आगे भी कायम रखेगा, ऐसा यकीन फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युएल मॅक्रॉन ने दिलाया। बुधवार को फ्रान्स और ‘साहेल’ क्षेत्र के देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वर्चुअल बैठक आयोजित की गई थी। फ्रान्स ने सन २०१३ में की हुई तैनाती और अफ्रीकी देशों के सहभाग के बावजूद भी इस क्षेत्र में आतंकवादी कारनामों की तीव्रता बढ़ी हुई दिखाई दे रही है। इस कारण फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने दिलाया हुआ यकीन महत्वपूर्ण साबित होता है।
सन २०१२ मैं उत्तरी माली में कट्टरपंथीय गुटों ने बगावत की कोशिश की थी। हालांकि बगावत नाकाम साबित हुई, फिर भी उसके बाद निर्माण हुई अस्थिरता का फायदा आतंकवादी संगठनों ने उठाया दिख रहा है। पिछले कुछ सालों में ‘अल कायदा’, ‘आयएस’ और ‘अन्सरउल इस्लाम’ इन जैसे आतंकवादी संगठनों ने अपना प्रभाव बढ़ाने की शुरुआत की है। पिछले दो सालों में माली, नायजेरिया तथा नायजर इन देशों में एक के बाद एक हुए हमलों से इन संगठनों की ताकत बढ़ी दिखाई दे रही है।
‘आयएस’ और ‘अल कायदा’ से जुड़े आतंकवादी गुटों द्वारा माली, नायजर, बुर्किना फासो तथा नायजेरिया के लष्करों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इन हमलों में तकरीबन ४०० से भी अधिक जवानों की मृत्यु हुई बताई जाती है। ‘साहेल’ क्षेत्र के देशों ने अब तक कीं हुईं कार्रवाइयों और मुहिमों को बहुत बड़ा झटका लगा है। उसी में, लगातार होने वाले इन आतंकवादी हमलों से यह स्पष्ट हुआ था कि ‘साहेल’ देशों के लष्करों के पास उचित प्रशिक्षण, शस्त्रास्त्र और जानकारी का अभाव है।
‘साहेल’ में तैनात होनेवाले फ्रेंच लष्कर को भी अपने ५० जवान खोने पड़े हैं। इस कारण फ्रान्स भी आक्रामक बना होकर, पिछले कुछ महीनों में उसने आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयाँ तेज़ कीं हैं। फ्रान्स ने इससे पहले ही इस इलाके में लगभग साढ़ेचार हज़ार जवान तैनात किए थे। लेकिन आतंकवादी संगठनों द्वारा अफ्रीकी देशों समेत फ्रान्स के लष्करी अड्डों पर भी बड़े हमले कराए गए थे। इस कारण फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने पिछले साल ६०० अतिरिक्त जवान तैनात करने की घोषणा की थी।
पिछले दो सालों से अफ़्रीका की मुहिम के लिए युरोपीय देशों की सहायता लेने के लिए फ्रान्स कोशिशें कर रहा है। लेकिन युरोपिय महासंघ और प्रमुख देशों ने अभी तक उसे पर्याप्त प्रतिसाद नहीं दिया है। युरोपिय महासंघ ने आर्थिक सहायता के अलावा अन्य सहयोग की तैयारी नहीं दर्शाई है। इससे यही संकेत मिल रहे हैं कि फ्रान्स को इसके लिए अधिक जोरदार कोशिशें करनी पड़ेंगी। फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने आतंकवादी संगठनों को खत्म करने का यकीन दिलाते समय ही यह स्पष्ट किया कि फ्रान्स अपनी लष्करी तैनाती मैं कटौती नहीं करेगा।
फ्रान्स के अलावा साहेल क्षेत्र का अग्रसर देश होने वाले ‘चाड’ ने भी अतिरिक्त लष्करी तैनाती का ऐलान किया है। चाड के राष्ट्राध्यक्ष इद्रिस डेबी एत्नो ने जानकारी दी है कि १,२०० जवान तैनात किए जाएंगे। ये जवान नायजर, माली और बुर्किना फासो के ‘बॉर्डर झोन’ में तैनात होंगे, ऐसा भी स्पष्ट किया गया। साहेल क्षेत्र के पाँच देशों ने इससे पहले ही ‘जी५एस’ नाम से स्वतंत्र दल का गठन किया होकर, उसमें तीन हज़ार जवानों का समावेश है। लेकिन उसे पर्याप्त सफलता नहीं मिली है, इस कारण, इस युद्ध में फ्रान्स की भूमिका और योगदान अहम साबित होता है।
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