रियाध – अमरिकी रक्षा सामान के निर्माण क्षेत्र की अग्रिम ‘लॉकहिड मार्टिन’ कंपनी ने सौदी अरब के साथ अरबों डॉलर्स का समझौता किया है। इस समझौते के तहत अमरिकी कंपनी सौदी को मिसाइल विरोधी यंत्रणा की आपूर्ति करेगी। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने दो हफ्ते पहले ही येमन में मानव अधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाके सौदी को हथियारों की बिक्री करने पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया था।
अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान अमरिकी कंपनी ने सौदी के साथ ११० अरब डॉलर्स के रक्षा सहयोग का ऐलान किया था। इसके तहत ‘लॉकहिड मार्टिन’ कंपनी सौदी को अतिप्रगत लड़ाकू ‘एफ-३५’ विमानों के साथ मिसाइल विरोधी यंत्रणा प्रदान कर रही है। इनमें से मिसाइल विरोधी यंत्रणा से संबंधित समझौता रविवार के दिन ‘सौदी अरेबियन मिलिटरी इंडस्ट्रिज्’ (सामी) और लॉकहिड मार्टिन के बीच किया गया। इसके तहत अमरिकी कंपनी सौदी को मिसाइल विरोधी यंत्रणा की तकनीक प्रदान करेगी और साथ ही सौदी के कर्मियों को प्रशिक्षण भी देगी।
इससे पहले सौदी ने शनिवार के दिन २० अरब डॉलर्स के हथियारों का निर्माण करने का ऐलान किया। अगले दशक तक यह उद्देश्य प्राप्त करने की बात सौदी ने स्पष्टी की है। वर्ष २०३० तक सौदी स्वदेशी हथियारों का निर्माण करने के लिए १० अरब डॉलर्स से अधिक निवेश करेगा। इसके अलावा सौदी की सेना ने अपनी नीति में रविवार के दिन बड़े बदलावों का ऐलान किया। आनेवाले दिनों में सौदी की सेना, वायुसेना और नौसेना में महिलाओं को भी दाखिल किया जाएगा, यह ऐलान सौदी की सेना ने किया।
इसी बीच, अमरिकी कंपनियों ने सौदी के साथ किए सहयोग की ओर आश्चर्य के साथ देखा जा रहा है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने दो हफ्ते पहले ही सौदी के साथ हथियारों से संबंधित सहयोग ना करने के निर्णय का ऐलान किया था। येमन में जारी हिंसा के लिए सौदी ज़िम्मेदार होने का एवं अमरिकी हथियारों का येमन में युद्ध करने के लिए इस्तेमाल किए जाने का आरोप बायडेन ने लगाया था। बायडेन का यह ऐलान सौदी के लिए इशारा है और आनेवाले दिनों में अमरीका-सौदी के संबंध बिगड़ेंगे, ऐसा दावा लष्करी विश्लेषकों ने किया था।
लेकिन, बायडेन प्रशासन ने लष्करी सहयोग तोड़ा तो इससे सौदी पर कुछ भी असर नहीं होगा, यह दावा अमरिकी विश्लेषिका ने किया है। ऐसा हुआ तो सौदी इस्रायल के साथ खाड़ी क्षेत्र के ‘नाटो’ का निर्माण करेगा। साथ ही भारत, रशिया और दक्षिण कोरिया के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाएगा, यह दावा इस विश्लेषिका ने किया है।
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