तैपेई/कैनबेरा/बीजिंग – ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ‘ग्रे ज़ोन वॉर’ शुरू करने की तैयारी चीन जुटा रहा है, ऐसा गंभीर इशारा तैवान के विदेशमंत्री ने दिया है। तैवान बीते कुछ वर्षों से चीन के ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ का सामना कर रहा है और जल्द ही इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी शुरू होगा, ऐसा इशारा विदेशमंत्री जोसेफ वु ने दिया है। ऑस्ट्रेलिया को ‘ग्रे ज़ोन वॉर’ का इशारा प्राप्त होने का बीते महीने से यह दूसरा अवसर है। बीते महीने में ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ सेना अधिकारी मेजर जनरल एडम फिंडले ने चीन ने ऑस्ट्रेलिया के विरोध में पहले ही ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ शुरू किया होने की बात कही थी।
किसी देश ने ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ यानी अपने साथ खुलेआम ताल्लुकात ना रखनेवाले की सहायता से प्रतिद्वंद्वि देशों पर दबाव ड़ालना संभव होगा, ऐसी गतिविधियाँ लगातार जारी रखने को ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ कहा जाता है। यह एक परंपरागत युद्ध की शुरूआत करनेवाला हमला और शांति के बीच की स्थिति होती है। बीते कुछ वर्षों से तैवान की समुद्री सीमा में लगातार बड़ी संख्या में हथियारबंद मछुआरों के जहाज़ भेजकर चीन ‘ग्रे ज़ोन वॉर’ का अवलंबन कर रहा था।
तैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु ने इसी बात का ज़िक्र करके अगला लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया होगा, यह इशारा दिया। “चीन की नौसेना के आदेशों के अनुसार हथियारबंद मछुआरों के सैंकड़ों जहाज़ लगातार तैवान की समुद्री सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं। चीन के इस ‘ग्रे ज़ोन ऑपरेशन्स’ का उद्देश्य शत्रु देशों को तंग करना एवं उन पर दबाव ड़ालना है। ऑस्ट्रेलिया ने अब तक इसका अनुभव नहीं किया है। लेकिन, जल्द ही चीन द्वारा इस पद्धति का इस्तेमाल शुरू हो सकता है”, यह इशारा विदेशमंत्री वु ने दिया। चीन की महत्वाकांक्षा सिर्फ साउथ चायना सी तक सीमित नहीं है और चीन का ‘नेवल मिलिशिया’ ऑस्ट्रेलिया की सीमा में भी घुसपैठ करेगा, इस ओर तैवान के मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।
इस दौरान वु ने चीन की हुकूमत ने पैसिफिक महासागर के ‘सोलोमन आयलैण्डस्’ नामक देश के स्थापित किए संबंधों की भी याद ताज़ा की। यह क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया के करीब है और चीन ‘सोलोमन आयलैण्डस्’ का इस्तेमाल सामरिक उद्देश्यों के लिए कर सकता है, यह दावा भी तैवान के विदेशमंत्री ने किया। तैवान बीते कई वर्षों से चीन की दमननीति का मुकाबला कर रहा है और विश्व के लोकतांत्रिक देशों ने इसके फिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता है, यह आवाहन भी जोसेफ वु ने किया।
तैवान के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंध बिगड़ने की बात बीते कुछ महीनों से सामने आ रही है। चीन ने तैवान के करीब शुरू की हुई गतिविधियों का ऑस्ट्रेलिया ने गंभीरता से संज्ञान लिया है और चीन-तैवान युद्ध की संभावना बढ़ने के संकेत वरिष्ठ नेताओं द्वारा दिए जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री पीटर डटन ने बीते महीने में यह इशारा दिया था कि, चीन और तैवान के बीच युद्ध शुरू होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
गृह विभाग के सचिव माइकल पेज़ुलो ने करीबी क्षेत्र में युद्ध के नगाड़े बजना शुरू हुए हैं, इन शब्दों में चीन-तैवान युद्ध की संभावना जताई थी। ऑस्ट्रेलिया के कुछ अधिकारी एवं नेताओं ने तैवान के क्षेत्र में संघर्ष शुरू होने पर ऑस्ट्रेलिया अमरिकी सेना की सहायता करे, यह भूमिका भी रखी थी। यह बात चीन को बेचैन करनेवाली साबित हुई है और चीन की हुकूमत धमकियाँ एवं इशारे देकर दबाव ड़ालने की कोशिश कर रही है। तैवान के मसले पर ऑस्ट्रेलिया की जारी गतिविधियाँ और बयानबाज़ी गैरज़िम्मेदाराना एवं उकसानेवाली होने का इशारा चीन ने कुछ दिन पहले ही दिया था। ऐसी पृष्ठभूमि पर तैवान के मंत्री ने ‘ग्रे ज़ोन वॉर’ के मुद्दे पर दिया हुआ इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा है।
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