काबुल हवाई अड्डे पर विस्फोट के ’प्लैनर’ को मार गिराने का अमेरिका का दावा

वॉशिंग्टन/काबुल – दो दिन पहले काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाति विस्फोट की सा़ज़िश रचनेवाले ’आयएस-के’ के प्लैनर को ढ़ेर करने का दावा अमरिकी सेना ने किया है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर नांगरहार प्रांत में यह कार्यवाही किए जाने की बात अमरिकी सेना ने स्पष्ट की। राष्ट्राध्यक्ष बायड़ेन ने इस हमले के आदेश दिए थे, यह बात अमरिकी प्रशासन द्वारा विशेषरूप से कही जा रही है। इसके द्वारा चाहे राष्ट्राध्यक्ष बायड़ेन के विरोध में क्रोध की तीव्रता घटाने की कोशिश की जा रही हो, फिर भी इसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसा दावा बायड़ेन के विरोधक मार रहे हैं। इसके अलावा, काबुल हवाई अड्डे पर आयएस के नए हमले की संभावना बताकर वाईट हाऊस ने बायड़ेन की अफगानिस्तान के प्रति धारणा में गड़बड़ी अधिक बढाई है।

काबुल हवाई अड्डे पर हुए विस्फोटों के लिए ‘आयएस-खोरासन’ (आयएस-के या आयएस-केपी) जिम्मेदार होने के आरोप बायड़ेन प्रशासन एवं अमरिकी सेंट्रल कमांड-सेंटकॉम के प्रमुख जनरल मैकेंज़ी ने लगाया था। इसी के साथ अमरिकी जवानों की बली चढ़ानेवाले आयएस-खोरासन को इसकी कीमत चुकाने के लिए मजबूर करेंगे, ऐसा इशारा राष्ट्राध्यक्ष बायड़ेन ने दिया था। इसके पश्चात ३६ घंटों में शनिवार को प्रभात समय अमेरिका के ’एमक्यु९’ रिपर ड्रोन्स ने अफगानिस्तान के पूर्व में स्थित नांगहार प्रांत के जलालाबाद शहर के निकट ड्रोन हमला किया।

काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाती हमले का नियोजन करनेवाले आयएस-खोरासन के प्लैनर को ढ़ेर करने का दावा अमरिकी सेना ने किया। इस हमले में अन्य कोई जीविनहानि ना होने की बात अमरिकी सेना ने जाहिर की। इसके साथ ही इस हमले में उध्वस्त हुई रिक्षा और घर के फोटोग्राफ्स प्रसिद्ध किए। स्थानीय लोगों ने भी कान फाड़नेवाला विस्फोट होने की जानकारी दी। मगर क्या इस हमले में काबुल हमले के प्लैनर की मौत हुई? आतंकवादी की लाश किधर है? इन प्रश्नों का अमेरिकी सेना ने खुलासा नहीं किया है।

इसके अलावा, नांगरहार प्रांत में कार्यवाई द्वारा अमेरिका की सेना ने अपने समक्ष दिक्कतें बढाने की बातों पर अंतरराष्ट्रिय विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। कुछ महीनों पूर्व अमेरिका के जनरल मैकेंज़ी ने अफगानिस्तान के आयएस-खोरासन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रसिद्ध की थी। नांगरहार प्रांत में तालिबान और खोरासन के आतंकियों में हुए संघर्ष में खोरासन पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। तालिबान के हवाले से जनरल मैकेंज़ी ने यह दावा किया था। यदि ऐसा है, तो फिर ‘आयएस-खोरासन’ फिर से अफगानिस्तान में प्रबल कैसे बनी? कहीं तालिबान एवं खोरासन एक ही तो नहीं? अगर ऐसा है तो क्या अमेरिका खुद ही अफगानिस्तान की चाभी ड़कैतों के हाथों में दे रही है?

इसी दौरान, काबुल हवाई अड्डे पर ‘आयएस-खोरासन’ द्वारा नए हमलों का धोखा होने का बायड़ेन प्रशासन ने जाहिर किया है। अफगानिस्तान में फंसा हुआ कोई भी नागरिक काबुल हवाई अड्डे के पास आने के बजाए अपने घर पर ही रुके, ऐसी सूचना बायड़ेन प्रशासन ने की है। अमेरिका ने काबुल हवाई अड्डा छोड़्ने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। तो काबुल हवाई अड्डे के बाहरी चौकियों पर तालिबान के आतंकवादियों की संख्या बढ़ी है। अगले कुछ घंटों में तालिबान के आतंकवादी काबुल हवाई अड्डे पर कब्ज़ा कर सकते हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है।

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