वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की हुकूमत तकनीक के क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए विश्वभर के नागरिकों का ‘जेनेटिक डेटाबेस’ प्राप्त कर रही है और यह बात उन्हें अमरीका के स्वास्थ्य क्षेत्र पर वर्चस्व एवं लष्करी स्तर पर निर्णायक बढ़त दिला सकती है, ऐसा इशारा अमरिकी गुप्तचर यंत्रणाओं ने दिया है। अमरिकी यंत्रणाओं द्वारा इस तरह का इशारा देने का यह बीते महीने से तीसरा अवसर है। इससे पहले अमरीका के रक्षा विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन ने तकनीक के क्षेत्र में हासिल की हुई बढ़त की ओर ध्यान आकर्षित करके अमरीका इस मोर्चे में पिछड़ जाने का इशारा दिया था।
चीन ने बीते दशक में महत्वाकांक्षी ‘मेड इन चायना पॉलिसी’ का ऐलान करके तकनीक, रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के संकेत दिए थे। इसके बाद चीन ने तकनीक के क्षेत्र में बड़ी बढ़त प्राप्त करने की बात सामने आ रही है। ‘५ जी’ से लेकर ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ तक के कई क्षेत्रों में चीनी कंपनियाँ और अनुसंधान सबसे आगे निकले हुए दिखाई दे रहे हैं। खनिज एवं अन्य कच्चे सामान के उत्पादन में प्राप्त किए वर्चस्व के जोर पर चीन अन्य देशों की तकनीकी प्रगति पर लगाम कसने की गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।
पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन की इन गतिविधियों का संज्ञान लेकर कम्युनिस्ट हुकूमत को रोकने के लिए आक्रामक निर्णय किए थे। लेकिन, नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ट्रम्प के कार्यकाल में किए गए कई निर्णय और कार्रवाईयों को रद किया है। चीन को रोकने के बजाय चीनी कंपनियों को छूट देकर ड्रोन्स की खरीद हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर वरिष्ठ अधिकारी एवं यंत्रणा लगातार चीन के बढ़ते खतरे की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ‘नैशनल काऊंटरइंटेलिजन्स ऐण्ड सिक्युरिटी सेंटर’ का इशारा भी इसी का हिस्सा है।
‘चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत विश्वभर के नागरिकों की जनुकीय एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्राप्त कर रही है। जिस देश के पास इस तरह की व्यापक जानकारी उपलब्ध होगी वह भविष्य की महामारीयों के प्रभावी इलाज की खोज कर सकेगा। चीन ने इस क्षेत्र में पहले ही बढ़त पाई है’, यह इशारा ‘नैशनल काऊंटरइंटेलिजन्स ऐण्ड सिक्युरिटी सेंटर’ के वरिष्ठ अधिकारी एडवर्ड यू ने दिया। कोरोना के ‘टेस्ट किटस्’, जनुकिय परीक्षण की तकनीक एवं अमरीका और यूरोप की दवाईयाँ एवं जैव तकनीक कंपनियों में निवेश करने जैसे माध्यमों द्वारा चीन यह हासिल कर रहा है, यह दावा भी यू ने किया। ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में अमरीका को चीन पर निर्भर रहने की मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ेगा, इस बात का अहसास भी वरिष्ठ अधिकारियों ने दिलाया।
‘नैशनल काऊंटरइंटेलिजन्स ॲण्ड सिक्युरिटी सेंटर’ के अस्थायी संचालक मायकल ओरलैण्डो ने स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा अन्य प्रगत तकनीक के क्षेत्र में चीन द्वारा प्राप्त वर्चस्व की ओर ध्यान आकर्षित किया। ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’, ‘ऑटोनॉमस सिस्टम्स’, ‘क्वांटम कॉम्प्युटिंग’ और ‘सेमीकंडक्टर्स’ जैसे क्षेत्र में चीन ने बढ़त पाई तो अमरीका का बहुत नुकसान हो सकता है, यह इशारा उन्होंने दिया। ‘क्वांटम कॉम्प्युटिंग’ जैसे क्षेत्र में अमरिकी कंपनियों ने चीन से सहयोग किया तो इससे गुप्तचर यंत्रणाओं को नुकसान पहुँच सकता है, यह दावा भी ओरलैण्डो ने किया।
अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा की इस रपट से पहले पूर्व ‘चीफ सॉफ्टवेअर ऑफिसर’ निकलस चायलन एवं ‘डिफेन्स सिक्युरिटी को-ऑपरेशन एजन्सी’ की प्रमुख हैदी ग्रैंट ने अमरीका की तकनीक के क्षेत्र की हो रही देखी-अनदेखी का मुद्दा उठाया था। ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ के साथ अन्य प्रगत तकनीक के क्षेत्र में चीन ने अमरीका को पहले ही परास्त किया है, यह इशारा निकोलस चायलन ने दिया था। तभी ग्रैंट ने अमरीका के प्रतिद्वंद्वि देश विश्व के अन्य देशों को सरेआम प्रगत तकनीक प्रदान कर रहे हैं, यह इशारा दिया था। इसलिए प्रतिद्वंद्वि देशों को अन्य देशों के संवेदनशील क्षेत्र की जानकारी आसानी से प्राप्त हो रही है, यह दावा भी उन्होंने किया था।
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