काबुल – ‘तालिबान को स्वीकृति प्रदान नहीं की गई तो अफ़गानिस्तान के साथ इस क्षेत्र की एवं विश्व की समस्याओं में अधिक बढ़ोतरी होगी’, ऐसी धमकी तालिबान ने अमरीका को दी है। तालिबान के प्रवक्ता ज़बिउल्ला मुजाहिद ने यह इशारा दिया है। इटली में हो रही ‘जी २०’ बैठक की पृष्ठभूमि पर यह इशारा दिया गया है। कुछ दिन पहले तालिबान ने यूरोप समेत अमरीका को धमकाया था कि, हमें स्वीकृति ना दी गई तो यूरोप में अफ़गान शरणार्थियों को छोड़ देंगे।
तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करके दो महीने बीते हैं। पर, अभी तक किसी भी देश या अंतरराष्ट्रीय संगठन ने तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान नहीं की है। लेकिन, अफ़गान जनता के लिए अमरीका, भारत, ब्रिटेन, यूरोपिय महासंघ ने मानवीय सहायता प्रदान करने का ऐलान किया है। लेकिन, तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करने के लिए अब तक कोई देश आगे नहीं आया है। इससे बेचैन हुई तालिबान ने अमरीका और पश्चिमी देशों को धमकाना शुरू किया है।
तालिबान का मुख्य प्रवक्ता ज़बिउल्ला मुजाहिद ने शनिवार के दिन माध्यमों से बातचीत करते समय तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान ना करनेवाले देशों को फिर से इशारा दिया। मुजाहिद ने दो दशक पहले अमरीका और तालिबान के बीच भड़के संघर्ष की याद भी दिलाई। अमरीका पर हुए ९/११ के हमले के लिए ज़िम्मेदार अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को हमारे हाथों सौंप दें, यह माँग अमरीका ने तालिबान से की थी। लेकिन, तालिबान ने अमरीका की माँग से इन्कार किया। उससे पहले के दिनों में भी अमरीका ने तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करने से इन्कार किया था, इस बात का ज़िक्र भी मुजाहिद ने किया। इस वजह से अफ़गानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन अगले दिनों में पश्चिमी देशों पर हमले कर सकते हैं, इन हमलों को टालना हो तो अमरीका और अन्य देश अफ़गानिस्तान में स्थापित तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करें, यह सुझाव मुजादि दे रहा है।
अफ़गानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह ने तालिबान की इस धमकी की जोरदार आलोचना की। ‘अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने स्वीकृति प्रदान की तो हम कम क्रूरता का बर्ताव करेंगे। लेकिन, यह स्वीकृति प्रदान ही नहीं की तो बड़ी क्रूरता का प्रदर्शन करेंगे। अधिक हत्याकांड़ करेंगे, मानव अधिकारों का उल्लंघन करेंगे, यह संदेश तालिबान विश्व को दे रही है। यानी कि, तालिबान पाकिस्तान की नकल उतार रही हैं। क्योंकि, पाकिस्तान भी पश्चिमी देशों ने डॉलर्स की आपूर्ति की तो हम कम बुरा बर्ताव करेंगे, लेकिन हमें डॉलर्स देने से इन्कार किया तो हमारा बर्ताव अधिक बुरा रहेगा, इस तरह धमका रहा है’, ऐसी जोरदार फटकार सालेह ने लगाई।
इसी बीच तालिबान ने दोहा समझौते की शर्तों को स्वीकार किए बिना स्वीकृति प्रदान नहीं करेंगे, ऐसा बयान अमरीका, भारत, ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ के प्रमुख देशों ने ड़टकर किया है। तो, रशिया और ईरान ने भी तालिबान को स्वीकृति प्रदान करने के लिए यह समय उचित ना होने का बयान किया है। तालिबान के साथ सहयोग कर रहे पाकिस्तान और चीन ने भी तालिबान की हुकूमत को स्पष्ट स्वीकृति प्रदान नहीं की है। अन्य देश इसके लिए पहल करें, यह आवाहन पाकिस्तान और चीन कर रहे हैं। लेकिन, सबसे पहले यह निर्णय करने का साहस पाकिस्तान और चीन भी नहीं दिखा सके हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका और पश्चिमी देशों को धमकाकर तालिबान ने अपने सामने खड़ी चुनौतियाँ अधिक बढ़ाई हैं।
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