ताइवान की आज़ादी का समर्थन करनेवालों पर कार्रवाई करने की चीन की चेतावनी – प्रधानमंत्री समेत विदेशमंत्री और सभापति को किया ‘ब्लैकलिस्ट’

बीजिंग/ताइपे – ‘चीन के टुकड़े करनेवालों को जनता ठुकराएगी और इतिहास उन्हें उनकी जगह दिखाएगा’, इन शब्दों में चीन के शासकों ने ताइवान की आज़ादी का समर्थन करनेवालों पर सख्त कार्रवाई करने का ऐलान किया। इस ऐलान के बाद कुछ ही घंटों में चीन ने ताइवान के प्रधानमंत्री समेत विदेशमंत्री एवं संसद के सभापति को ‘ब्लैकलिस्ट’ करके उन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। इस पर ताइवान से तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई है और एकाधिकारशाही चला रही हुकूमत का धमकाना हम बर्दाश्‍त नहीं करेंगे, यह इशारा ताइवान ने दिया है।

स्वातंत्र्याचे समर्थन, ताइवान की आज़ादी

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने बीते महीने ही ताइवान के विलयन का मुद्दा उठाया था। ‘ताइवान की आज़ादी और अलगाववाद चीन को नया चैतन्य प्राप्त करने की राह का सबसे बड़ा अड़ंगा है। चीन का एकत्रीकरण सच्चाई में उतरेगा और इसे शांति की राह से करना ही ताइवान की जनता के हित में होगा’, ऐसा इशारा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दिया था। इसके बाद चीन के प्रसार माध्यम एवं रक्षाबल आक्रामक होकर लगातार ताइवान को धमका रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर चीनी हुकूमत द्वारा उठाया गया कदम ताइवान के खिलाफ जारी मुहिम को अधिक गति प्रदान करने की कोशिश है।

स्वातंत्र्याचे समर्थन, ताइवान की आज़ादी

चीन के ‘ताइवान अफेअर्स ऑफिस’ ने इस नई कार्रवाई की जानकारी साझा की है। इसके अनुसार, ताइवान की आज़ादी का समर्थन करनेवालों पर अपराधिक मामलों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इन समर्थन कनरेवालों की एक ‘ब्लैकलिस्ट’ तैयार की गई है, ऐसा ‘ताइवान अफेअर्स ऑफिस’ की प्रवक्ता झु फेंगलिआन ने कहा। ‘इस सूचि में दर्ज़ लोगों को चीन के अलावा हाँगकाँग और मकाव में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, यह लोग चीन की कंपनियों एवं नागरिकों से किसी भी तरह का कारोबार नहीं कर पाएंगे’, यह इशारा फेंगलिआन ने दिया।

इस ‘ब्लैकलिस्ट’ में ताइवान के राजनीतिक नेता, कार्यकर्ता एवं उद्यमियों का समावेश होने की बात कही जा रही है। कार्रवाई का ऐलान करने के कुछ ही समय बाद चीन ने ताइवान के तीन नेताओं को ‘ब्लैकलिस्ट’ करके उन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। इनमें ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्सेंग-चैंग, विदेशमंत्री जोसेफ वु और संसद के सभापति यू.सीकुन का समावेश है। विदेशमंत्री जोसेफ वु ने इस पर शीघ्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की, और चीन की हुकूमत की यह कार्रवाई यानी हमारा सम्मान है, यह बयान किया। ताइवान के ‘मेनलैण्ड अफेअर्स कौन्सिल’ ने चीन को फटकार लगाई है।

‘ताइवान नियमानुसार चलनेवाली लोकतांत्रिक व्यवस्था है। ताइवान की सरकार चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत का हिस्सा नहीं। निरंकुश और एकाधिकारशाही हुकूमत के देशों द्वारा दी जा रही ऐसी धमकियाँ हम बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। ताइवान के नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देकर ज़रूरी कदम उठाए जाएँगे’, यह इशारा ताइवान ने दिया। ताइवान के माध्यम एवं नागरिकों ने भी चीन की कार्रवाई के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ करने की बात सामने आयी है।

अमरिकी सांसदो द्वारा ताइवान को लष्करी सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव 

स्वातंत्र्याचे समर्थन, ताइवान की आज़ादी

वॉशिंग्टन – अमरिकी संसद के सिनेटर्स ने ताइवान को सालाना दो अरब डॉलर्स लष्करी सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव पेश किया है। संबंधित प्रस्ताव को ‘ताइवान डिटरन्स ऐक्ट’ नाम दिया गया है और इसमें ‘आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल ऐक्ट’ में सुधार करने का भी समावेश है। अमरिकी संसद में ताइवान की रक्षा सहायता को लेकर पेश किया गया यह दूसरा विधेयक है। कुछ दिन पहले ही सिनेटर जोश हॉले ने ‘आर्म ताइवान ऐक्ट ऑफ २०२१’ नामक विधेयक पेश किया था।

चीन ने ताइवान पर हमला करने की गतिविधियों को गति प्रदान की है और इसके लिए लगातार युद्धाभ्यास का आयोजन किया जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि पर अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष एवं रक्षामंत्री ने ताइवान की सुरक्षा की गारंटी देनेवाले बयान किए थे।

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