४२ लड़ाकू रफायल विमानों के लिए इंडोनेशिया का फ्रान्स से समझौता

जकार्ता – इंडोनेशिया ने फ्रान्स के साथ ४२ लड़ाकू रफायल विमानों की खरीद का समझौता किया है। फ्रान्स के रक्षामंत्री फ्लोरेन्स पार्ली ने यह ऐलान किया। फ्रान्स से रफायल विमानों की खरीद करनेवाला इंडोनेशिया इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का दूसरा देश बना है। इससे पहले भारत ने फ्रान्स से ३६ रफायल विमानों की खरीद की थी।

४२ लड़ाकू रफायल

भारत ने रफायल विमानों की खरीद करने के बाद फ्रान्स की डॅसॉल्ट कंपनी के विमानों की माँग में बढ़ोतरी होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में इजिप्ट, यूएई एवं युरोप के ग्रीस और क्रोएशिया ने फ्रान्स से रफायल विमान खरीदे हैं। इसके बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का और एक देश फ्रान्स से रफायल विमान खरीदने के लिए उत्सुक होने की खबरें सामने आयीं थीं। लेकिन, इसका पूरा ब्यौरा प्राप्त नहीं हुआ था।

गुरुवार को फ्रान्स के रक्षामंत्री फ्लोरेन्स पार्ली ने सोशल मीडिया के ज़रिये, इंडोनेशिया के साथ किए गए समझौते की जानकारी सार्वजनिक की। ४२ रफायल विमानों की खरीद करने के लिए इंडोनेशिया ने ८.१ अरब डॉलर्स का समझौता करने की बात पार्ली ने कही। इंडोनेशिया की सरकारी वृत्तसंस्था ने रक्षामंत्री के हवाले से छह रफालय विमानों की खरीद का समझौता होने की बात कही है। इसके अलावा अन्य ३६ विमानों की खरीद का समझौता जल्द ही होगा, ऐसा भी कहा है। इंडोनेशिया आगे भी फ्रान्स से अधिक रफायल खरीद सकता है, यह दावा भी हो रहा है। इसके अलावा इंडोनेशिया ने फ्रान्स से दो स्कॉर्पिन वर्ग की पनडुब्बियों का निर्माण एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए भी समझौते किए हैं।

४२ लड़ाकू रफायल

इंडोनेशिया की वायुसेना के बेड़े में फिलहाल अमरिकी निर्माण के ‘एफ-१६’ और रशिया के लड़ाकू ‘सुखोई’ विमान तैनात हैं। इन दोनों वर्ग के विमान काफी पुराने हुए हैं और इंडोनेशिया की वायुसेना को प्रगत लड़ाकू विमानों की आवश्‍यकता थी। अमरिकी विदेश मंत्रालय ने इंडोनेशिया को ३६ ‘एफ-१५’ विमानों की बिक्री करने के लिए मंजूरी प्रदान की है। इसके लिए अमरीका और इंडोनेशिया के बीच लगभग १४ अरब डॉलर्स का समझौता होने की कगार पर है। लेकिन, उससे पहले अपनी वायुसेना का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए इंडोनेशिया ने फ्रान्स के साथ रफालय विमानों की खरीद का समझौता किया है।

इस समझौते के साथ, फ्रान्स ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया होने का दावा अंतरराष्ट्रीय माध्यम कर रहे हैं। पिछले वर्ष अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने ‘ऑकस’ समझौता किया था। इस सहयोग के लिए ऑस्ट्रेलिया ने, फ्रान्स से परमाणु पनडुब्बी की खरीद करने के लिए किया समझौता भी तोड़ दिया था। इसपर फ्रान्स ने काफ़ी गुस्सा व्यक्त किया था। इंडोनेशिया ने भी इस ‘ऑकस’ समझौते पर चिंता जताई थी।

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