यूक्रैन युद्ध में अमरीका और ब्रिटेन के ‘स्पेशल फोर्सस’ शामिल

- फ्रेंच अखबार का दावा

अमरीका और ब्रिटेन

किव/वॉशिंग्टन/मास्को – यूक्रैन युद्ध की शुरूआत से ही इसमें अमरीका और ब्रिटेन के ‘स्पेशल फोर्सस’ शामिल हैं, ऐसा दावा अग्रणी फ्रेंच अखबार ‘ले फिगारो’ ने किया है। इन दोनों देशों ने ऐलान किया था कि, यूक्रैन युद्ध में सीधे शामिल नहीं होंगे और ना ही सैनिक यूक्रैन में जंग लड़ेंगे। इस पृष्ठभूमि पर फ्रेंच अखबार ने सामने लायी जानकारी चौंकानेवाली साबित हो रही है। इससे पहले अमरीका से जुड़े कान्ट्रैक्ट सैनिक यूक्रैन के पक्ष में युद्ध कर रहे हैं और इनमें अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों का समावेश होने के आरोप रशिया ने लगाए थे।

‘ले फिगारो’ के प्रमुख पत्रकार जॉर्ज मैल्ब्रुनो ने एक ट्विट में यह दावा किया है और फ्रेंच गुप्तचर यंत्रणा के दाखिले से यह जानकारी साझा की है। शनिवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन यूक्रैन की राजधानी किव में मौजूदगी के दौरान यह जानकारी सामने आयी है। रशिया ने फ़रवरी के अन्त में यूक्रैन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की थी। इस कार्रवाई से पहले कई महीनों से अमरीका, ब्रिटेन और नाटो सदस्य देशों के चुनिंदा सैन्य दल यूक्रैन में सक्रिय हुए थे। यूक्रैन की सेना को प्रशिक्षण देने के लिए इन दलों की तैनाती होने का बयान संबंधित देशों ने किया था। रशिया-यूक्रैन युद्ध की संभावना बढ़ने के बाद इन दलों को वापस लौटने के निदेश दिए गए थे।

अमरीका और ब्रिटेन

लेकिन, वास्तव में यह दल यूक्रैन युद्ध में सक्रीय होने की बात फ्रेंच अखबार के दावे से सामने आ रही है। इन दलों में अमरीका के ‘स्पेशल फोर्सस’ के अंग ‘डेल्टा फोर्स’ और ब्रिटेन की ‘एसएएस यूनिट’ शामिल हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के किव दौरे में उनकी सुरक्षा के लिए तैनात दल में ‘एसएएस यूनिट’ के सैनिकों का समावेश होने की जानकारी भी सामने आयी है।

पत्रकार जॉर्ज मैल्ब्रुनो ने अपने ट्विट में इसका ज़िक्र किया है। फ्रेंच गुप्तचर यंत्रणा का दाखिला देकर ब्रिटेन की ‘एसएएस यूनिट’ एवं अमरीका की ‘डेल्टा फोर्स’ आदि दल यूक्रैन युद्ध के शुरूआत से ही यूक्रैन में सक्रिय हैं, ऐसा मैल्ब्रुनो ने अपने ट्विट में कहा है। इस दावे की वजह से अमरीका और ब्रिटेन अब रशिया-यूक्रैन युद्ध में सीधे उतरे हैं, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इन दोनों देशों ने अपने सैनिक रशिया विरोधी युद्ध में शामिल नहीं होंगे, यह ऐलान किया था। इसके बावजूद उनके ‘स्पेशल फोर्सस’ का समावेश इन देशों का दोगलापन सामने ला रहा है, यह दावा रशियन माध्यमों ने किया है।

अमरीका और ब्रिटेन

यूक्रैन युद्ध में अमरीका के साथ अधिकांश नाटो सदस्य देशों ने यूक्रैन को भारी मात्रा में रक्षा सहायता प्रदान की थी। अमरीका और ब्रिटेन इसमें सबसे आगे हैं, फिर भी लाटविया, स्लोवाकिया जैसे छोटे देशों ने भी यूक्रैन को बड़े पैमाने पर हथियारों की आपूर्ति की है। स्लोवाकिया ने यूक्रैन को रशियन निर्माण की ‘एस-३००’ मिसाइल यंत्रणा प्रदान की थी। कुछ दिन पहले रशिया ने कैलिबर क्रूज़ मिसाइल दागकर यह यंत्रणा नष्ट करने की जानकारी साझा की है।

इसी दौरान रशिया के चेचेन रिपब्लिक के प्रमुख रमज़ान कादिरोव ने रशियन फौज फिर से यूक्रैन की राजधानी किव पर हमला करेगी, यह इशारा दिया है। रशिया के रक्षाबल पीछे नहीं हटेंगे, बल्कि मारिपोल और किव पर हमले किए जाएँगे, ऐसा कादिरोव ने कहा है।

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