परमाणु युद्ध होने पर मृतकों की संख्या पांच अरब होगी

- अमरीका की ‘रटगर्स युनिवर्सिटी’ की रपट

पांच अरब

वॉशिंग्टन – अमरीका और रशिया का परमाणु युद्ध शुरू हुआ, तो इससे विश्व की खेती पर दीर्घकालीन असर होगा और कई देशों की जनता को खतरनाक भूखमरी का सामना करना पड़ेगा। इससे कुछ ही सालों में विश्व के पांच अरब लोगों की मौत होगी’, ऐसी चेतावनी अमरीका की ‘रटगर्स युनिवर्सिटी’ ने दी है। युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने परमाणु युद्ध और इसके परिणामों से संबंधित छह विभिन्न संभावनाएँ जताई हैं और इनमें से ‘अमरीका-रशिया परमाणु युद्ध’ सबसे ज़्यादा विनाशकारी एवं संहारक होगा, ऐसी चेतावनी दी है। कुछ ही दिन पहलें युक्रेन का युद्ध और एशिया एवं खाड़ी के खतरों पर ध्यान आकर्षित करके एक भूल मानवता को परमाणु विनाश की ओर पहुँचा सकती है, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संगठन के महासचिव एंटोनिओ गुतेरस ने दी थी।

पांच अरब

रटगर्स युनिवर्सिटी के ‘डिपार्टमेंट ऑफ इन्वायरमेंटल सायन्सेस’ के वैज्ञानिकों ने परमाणु युद्ध से संबंधित रपट हाल ही में जारी की। ‘न्युक्लिअर वॉर वूड कॉज्‌‍ ए ग्लोबल फेमाईन ॲण्ड किल बिलिअन्स’ नामक इस रपट में, परमाणु युद्ध के गंभीर परिणामों पर ध्यान आकर्षित किया गया है। इसमें परमाणु युद्ध की छह संभावनाएँ रखी गई हैं। इनमें से पांच संभावनाएँ ‘भारत-पाकिस्तान’ परमाणु युद्ध की हैं और छठी संभावना अमरीका-रशिया परमाणु युद्ध की है।

भारत और पाकिस्तान एवं अमरीका, रशिया के पास मौजूद परमाणु हथियारों की संख्या और उनके इस्तेमाल के विषय पर वैज्ञानिकों ने यह अनुमान जताया है। भारत-पाकिस्तान का परमाणु युद्ध शुरू हुआ, तो उससे उठनेवाली प्रचंड आग सूर्य से प्राप्त हो रहें प्रकाश और ऊर्जा पर असर कर सकती है। इससे अगले पांच सालों में विश्व में खेती का उत्पादन और अन्न धान की मात्रा लगभग सात प्रतिशत कम होगी। इस गिरावट की वजह से विश्व के करोड़ों जनता पर भूखमरी का संकट टूटने से उनकी मौत हो सकती है। अफ्रीका और खाड़ी के देशों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान उठाना होगा, ऐसी चेतावनी रटगर्स युनिवर्सिटी की रपट में दी गई हैं।

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अमरीका और रशिया का परमाणु युद्ध हुआ तो मात्र दो सालों में विश्व के ७५ प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या पर भूखमरी का खतरनाक संकट टूटेगा, यह ड़र इस रपट में जताया गया है। इस परमाणु युद्ध से ३ से ४ सालों में विश्व की कुल ९० प्रतिशत खेती खत्म होने का खतरा होने की ओर भी इसमें ध्यान आकर्षित किया गया है। खेती के साथ ही पालतू पशू और मछली के उत्पादन पर भी बड़ा असर होगा और इसकी किल्लत निर्माण होगी, यह भी इस रपट में दर्ज़ है। अमरीका-रशिया परमाणु युद्ध की वजह से पृथ्वी का ओझोन की परस्त नष्ट होगी और घातक अतिनील किरण धरती पर पहुँचने से खतरनाक असर होंगे, यह इशारा भी रुटगर्स के वैज्ञानिकों ने दिया है।

परमाणु युद्ध कभी भी ना हो, इसके लिए हमें कोशिश करनी होगी, यह बात इस रपट की जानकारी से रेखांकित होती है, ऐसा बयान रटगर्स युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एलन रोबोक ने किया। पिछले साल स्वीडीश अभ्यासगुट ‘सिप्री’ ने जारी की हुई रपट ने, विश्व के नौ परमाणु देशों ने तैनात किए परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ने की जानकारी सामने लायी थी। इसके बाद मौजूदा महीने के शुरू में संयुक्त राष्ट्र संगठन की हुई बैठक में, संयुक्त राष्ट्र संगठन के महासचिव ने परमाणु विनाश की चेतावनी देकर परमाणु हथियारों के बढ़ते खतरे का एहसास कराया था।

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