मास्को – ‘पश्चिमी देश रशिया को ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ करने का धमका रहे हैं। लेकिन, यह साज़िश उन्हीं को भारी पड़ सकती है, इसे उन्होंने ध्यान में रखना होगा। यदि, रशिया की संप्रभुता को चुनौती दी जाती है तो देश और जनता के संरक्षण के लिए उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल किया जाएगा। हम हवा में बात नहीं करते, इसका अहसास पश्चिमी देश रखें’, इन शब्दों में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को सच्चाई का अहसास कराया।
‘रशिया की सेना एक हज़ार किलोमीटर्स से अधिक दूर के मोर्चे पर जंग लड़ रही है। यूक्रेन में रशियन सेना सिर्फ यूक्रेन की सेना के खिलाफ ही नही बल्कि, पश्चिमी देशों की पूरी सेना के यंत्रणा के खिलाफ संघर्ष कर रही है। पश्चिमी देशों ने रशिया का विभाजन करके देश को मिटाने की योजना बनाई है। रशिया के दक्षिणी हिस्से में नाटो ने गश्त शुरू की है। रशिया में सैन्य संघर्ष शुरू करने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ यूक्रेन को मज़बूर कर रहे हैं। किसी भी तरह रशिया की युद्ध में हार होनी ही चाहिये, ऐसी आक्रामक भूमिका पश्चिमी देश लगातार अपना रहे है’, ऐसा कहकर पुतिन ने अपनी भूमिका स्पष्ट की।
ज़ैपोरिज़िया परमाणु प्रकल्प पर हमले और नाटो सदस्य देशों के अधिकारियों के बयानों के माध्यम से रशिया को ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ करने की कोशिश की गई। रशिया के खिलाफ परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की चेतावनी दी गई। यह देश रशिया के पास नाटो देशों से अधिक प्रगत परमाणु हथियार होने की बात ध्यान में रखें, ऐसी चेतावनी पुतिन ने दी। रशिया सभी संसाधनों का इस्तेमाल करके रशियन जनता की स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखेगी, इसका नागरिक भरोसा रखें, यह गवाही भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दी।
कुछ दिन पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने पुतिन को परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के मुद्दे पर चेतावनी दी थी। रशिया किसी भी स्थिति में परमाणु हथियार का इस्तेमाल ना करे, वरना इसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने कहा था।
रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन अभियान शुरू करने के बाद आरंभिक के दिनों में ही रशिया परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकती है, ऐसे संकेत दिए थे। पुतिन ने रशिया के ‘न्यूक्लियर फोर्सेस’ को अलर्ट पर रहने के आदेश भी दिए थे। इसके बाद रशिया ने ‘सरमात’ परमाणु हथियार का नया परीक्षण करके अपनी तैयारी दर्शाई थी। इसके छह महीनों बाद अब राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने फिर से परमाणु हमले की धमकी देकर यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों को इशारा दिया है। रशियन राष्ट्राध्यक्ष की इस नई चेतावनी के कारण पश्चिमी जगत में फिर से सनसनी निर्माण हुई है और परमाणु मुद्दा फिर से चर्चा का प्रमुख विषय बना है।
यूक्रेन अभियान के लिए तीन लाख अतिरिक्त सैनिकों की होगी तैनाती
मास्को – कुछ दिन पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को अधिक आक्रामक और जोरदार जवाब देने की चेतावनी दी थी। इसे सच्चाई में उतारने के लिए पुतिन ने जोरदार गतिविधियाँ शुरू की हैं। मातृभूमि के लिए होनेवाले खतरों को जवाब देने के लिए यूक्रेन में तीन लाख अतिरिक्त सैनिक तैनात किए जाएँगे, यह ऐलान रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने किया। फिलहाल आरक्षित बल का हिस्सा होनेवाले और सेना के पूर्व सैनिकों का इसमें समावेश होगा। रशिया के रक्षा विभाग को इससे संबंधित आदेश दिए गए हैं, ऐसा पुतिन ने ऐलान किया। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रशिया ने इस तरह से आरक्षित बलों से अतिरिक्त तैनाती करने का निर्णय किया है। इस वजह से यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू ने बुधवार से इस अतिरिक्त तैनाती की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी साझा की। रशिया के लगभग ढ़ाई करोड़ नागरिकों को सैन्य भरती प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है, यह दावा भी शोईगू ने इस दौरान किया। रशिया की इस नई तैनाती की वजह से आनेवाले समय में यूक्रेन संघर्ष अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
इसी बीच, राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने फिलहाल रशिया ने कब्ज़ा किए हुए यूक्रेन के प्रांतों को सार्वमत करने का निर्णय किया है, यह भी घोषित किया। डोन्बास क्षेत्र के लुहान्स्क और डोनेत्स्क एवं खेर्सन और ज़ैपोरिज़िया प्रांत ने अपने भविष्य के लिए सार्वमत करने का निर्णय किया है और इसके लिए रशिया से सहायता की गुहार लगाई है। रशिया उन्हें सहायता प्रदान करेगी और उनके निर्णय का समर्थन भी करेगी, ऐसा रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने स्पष्ट किया। इससे पहले साल २०१४ में क्रिमिया पर कब्ज़ा करने के बाद रशिया ने वहां पर सार्वमत लेकर उसे रशिया को जोड़ने का निर्णय किया था।
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