मास्को – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष युक्रेन के चार प्रांतों का रशिया में विलयन होने का ऐलान कर रहे थे, तभी डोन्बास क्षेत्र में रशिया को नया झटका लगा है। डोनेत्स्क प्रांत के सामरिक दृष्टि से अहम होनेवाले लिमन शहर से पीछे हटने के लिए रशियन सेना मज़बूर हुई। युक्रेन के हमलों की वजह से रशिया को यहाँ से पीछे हटना पड़ा, ऐसा कहा जा रहा है। रशिया के रक्षा विभाग ने इस वापसी की खबर की पुष्टी की है।
पिछले महीने में ही रशिया को ईशान्य युक्रेन के खार्किव शहर के साथ प्रांत से पीछे हटना पड़ा था। यह रशिया की बड़ी हार होने का दावा युक्रेन समेत पश्चिमी देशों ने किया था। लेकिन, इसके बाद रशिया ने युक्रेन के विभिन्न क्षेत्रों पर जारी हमलें अधिक तीव्र किए थे। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हमले की चेतावनी भी दी थी और यह खोखली ना होने का इशारा भी दिया था। इस पृष्ठभूमि पर, लिमन से वापसी का सामने आया वृत्त ध्यान आकर्षित कर रहा है।
लिमन, डोनेत्स्क प्रांत का शहर है और सामरिक नज़रिये से बड़ा अहम समझा जाता है। इस शहर से लुहान्स्क और खार्किव इन दोनों प्रांतों पर हमलें किए जा सकते हैं। युक्रेन पर हमला करने के बाद मई महीने में रशियन सेना ने इस शहर पर कब्ज़ा किया था। खार्किव में मिली कामयाबी के बाद युक्रेन सेना ने डोन्बास क्षेत्र में हमलें करने के संकेत दिए थे। इसके अनुसार पिछले दो हफ्तों से युक्रेन सेना डोनेत्स्क प्रांत के विभिन्न हिस्सों पर हमलें कर रही है। युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने, डोन्बास समेत क्रिमिया पर कब्ज़ा पाए बिना युक्रेन सेना रुकेगी नहीं, यह चेतावनी भी दी थी।
इसके बाद लिमन जैसा अहम शहर कब्ज़े में आना युक्रेन के लिए बड़ी सफलता समझी जा रही है। इसके बाद युक्रेन की सेना रशिया के कब्ज़े के लुहान्स्क प्रांत की ओर रुख करेगी, ऐसा कहा जा रहा है। रशिया के रक्षा विभाग ने लिमन से वापसी करने की पुष्टि की है और साथ ही, युक्रेन के २०० से अधिक सैनिकों को मार गिराने का दावा किया है। इसी दौरान लिमन से वापसी के बाद डोन्बास के अन्य क्षेत्र में तैनाती बढ़ाई जा रही है, ऐसा कहा जा रहा है।
पुतिन ने युक्रेन के प्रांतों का रशिया में विलयन करने के बाद तुरंत ही लिमन का कब्ज़ा छोड़ने के लिए मज़बूर होना, यह बड़ी घटना होने का दावा पश्चिमी माध्यमों में किया जा रहा है। विलयन का ऐलान रशियन राष्ट्राध्यक्ष के लिए बड़ी और अहम घटना साबित होती है। इस पृष्ठभूमि पर, लिमन से पीछे हटना पुतिन की योजनाओं को झटका साबित हो सकता है, ऐसा पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है। लिमन से वापसी पुतिन समर्थकों को नाराज़ करनेवाली साबित होगी और वे पुतिन पर दबाव बढ़ाएँगे, यह दावा भी विश्लेषकों ने किया है।
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