पूर्व और दक्षिण यूक्रेन में रशिया के तीव्र हमले

- लगभग ५०० यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने का रक्षा विभाग ने किया दावा

मास्को/किव – सामरिक नज़रिये से अहम बाखमत शहर में सफलता हासिल होने के साथ ही रशिया ने पूर्व और दक्षिण यूक्रेन के विभिन्न मोर्चों पर तीव्र हमले किए हैं। पिछले दो दिनों में रशियन सेना ने कुपिआन्स्क, क्रास्नि, लिमन, उगलेदर और खेर्सन पर जोरदार हमले किए हैं और इस दौरान यूक्रेन के लगभग ५०० सैनिक मारे गए हैं। रशिया के रक्षा विभाग ने यह जानकारी साझा की।

पूर्व और दक्षिण यूक्रेन

शनिवार को रशिया के सदर्न ग्रुप ऑफ फोर्सेस ने डोनेत्स्क प्रांत पर बड़ी कार्रवाई की। इस दौरान हवाई हमलों के साथ तोप, टैंक और रॉकेटस्‌‍ के हमले किए गए और इन ह मलों में यूक्रेन के २०० से अधिक सैनिकों के मारे जाने की जानकारी रशिया के रक्षा विभाग ने साझा की। क्रास्नि लिमन शहर पर किए अन्य हमलों में लगभग १०० यूक्रेनी सैनिक मारे गए। इससे पहले शुक्रवार को डोनेत्स्क प्रांत के दक्षिणी हिस्से पर किए हमलों में यूक्रेन के ५० सैनिकों के मारे जाने की जानकारी रक्षा विभाग ने प्रदान की।

पूर्व और दक्षिण यूक्रेन

लुहान्स्क प्रांत के कुपिआन्स्क में रशिया और यूक्रेन की सेना का तीव्र संघर्ष शुरू है। पिछले ४८ घंटों में रशिया ने यूक्रेनी सेना के कई हमलों को नाकाम कर दिया। इस जंग में यूक्रेन के करीबन ८० सैनिकों के हताहत होने की जानकारी रशियन रक्षा विभाग ने साझा की। ऐसे में दक्षिण यूक्रेन के खेर्सन इलाके में भी रशिया के हमले हो रहे हैं और इन हमलों में यूक्रेन के लगभग ४० सैनिकों के मारे जाने का बयान रशियन वृत्तसंस्था ने किया है।

पूर्व और दक्षिण यूक्रेन

रविवार सुबह रशिया ने बाखमत के करीबी क्षेत्र पर टैंक और तोप के जोरदार हमले किए। इन हमलों में काफी लोगों के हताहत होने की जानकारी यूक्रेन ने साझा की है। कुछ दिन पहले ही यूक्रेन की सेना ने रशिया को बाखमत में सफलता प्राप्त होने की बात कबुल की थी। पिछले हफ्ते रशियन सेना ने बाखमत के करीबी स्लोविआन्स्क और एवडिवका शहर पर बड़े हमले किए थे। एवडिवका में हुए हमलों के बाद शहर के नागरिकों को बाहर निकल जाने के आदेश दिए गए थे। यूक्रेन के कुछ अधिकारियों ने यह इशारा भी किया था कि, एवडिवका आगे दूसरा बाखमत बन जाएगा।

बाखमत पर कब्ज़ा पाने के बाद रशिया स्लोविआन्स्क पर बड़ा हमला करेगी, ऐसा कहा जा रहा है। पूर्व यूक्रेन के डोन्बास क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण पाने के लिए स्लोविआन्स्क पर कब्ज़ा करना अहम समझा जाता है।

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