आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष का मुद्दा बने नागोर्नो-काराबाख में हुए विस्फोट से १२५ की मौत

बाकू – नागोर्नो-काराबाख के ईंधन डिपो में हुए भीषण विस्फोट से १२५ लोग मारे गए हैं और २०० घायल हुए हैं। अज़रबैजान की सेना ने किए हमले की वजह से नागोर्नो-काराबाख से ड़री हुई जनता भारी संख्या में आर्मेनिया की ओर भाग रहे हैं। अबतक लगभग २८ हजार लोगों के वहां से भाग जाने का दावा किया जा रहा है। अज़रबैजान की हुकूमत नागोर्नो-काराबाख में आर्मेनियन वंशियों का संहार करने की तैयार में होने की खबरे हैं और इस वजह से पहले से ही इस क्षेत्र में ड़र फैला हैं। इसी बीच इस ईंधन डिपो में विस्फोट होना ध्यान आकर्षित कर रहा है। ऐसे में पिछले हफ्ते आर्मेनिया के साथ हुए संघर्ष में हमारे १९२ सैनिकों के मारे जाने का बयान अज़रबैजान ने किया है।

नागोर्नो-काराबाख

रशिया ने लागू किया युद्ध विराम तोड़कर पिछले हफ्ते आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच फिर से संघर्ष हुआ था। आर्मेनिया दावा कर रहे नागोर्नो-काराबाख की ज़मीन पर अज़रबैजान की सेना ने हमले किए थे। वहां तैनात आर्मेनिया के सैनिकों ने अज़रबैजान की सेना को प्रत्युत्तर दिया। लगभग दो दिन चले इस संघर्ष के बाद अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराबाख का अधिकांश क्षेत्र जीतने का दावा किया था। लगभग ३० साल बाद अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराखाम पर नियंत्रण पाने की खबरें सामने आयी थी। इस संघर्ष में हमारे १९२ सैनिक मारे गए और ५११ के घायल होने की जानकारी अज़रबैजान की सेना ने घोषित की।

वर्ष १९९० के दशक में सोवियत रशिया ने विभाजन के बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान यह दो देश आज़ाद हुए थे। लेकिन, नागोर्नो-काराबाख पर दावा जताने के मुद्दे पर इन दोनों देशों के बीच संघर्ष होता रहा। नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र अज़रबैजान का हिस्सा होने के बावजूद वहां के आर्मेनियन वंशियों की बस्ती की वजह से यह प्रांत हमेशा से ही दोनों पड़ोसी देशों के विवाद का कारण बना था। वर्ष १९९४ में आर्मेनिया ने अज़रबैजान पर कब्ज़ा करने के साथ ही पिछले तीन दशकों से इस हिस्से के लिए संघर्ष होता रहा। वर्ष २०२० में छह दिनों का संघर्ष हुआ था और इस दौरान काफी बड़ा खूनखराबा हुआ था। लेकिन, उस संघर्ष में भी अज़रबैजान की सेना नाकामयाब हुई थी।

लेकिन, तीस साल बाद पिछले हफ्ते में नागोर्नो-काराबाख पर कब्ज़ा करने में कामयाब होने का दावा अज़रबैजान ने किया है। साथ ही अज़रबैजान आर्मेनियन वंशियों का संहार करने की योजना तैयार कर रहा हैं, ऐसी खबरें भी सामने आने लगी हैं। आर्मेनियन जनता के संहार को तुर्की का समर्थन होने के दावे किए गए थे। आर्मेनिया की सरकार ने भी नागोर्नो-काराबाख के नागरिकों को इस क्षेत्र को छोड़कर आर्मेनिया आने का आवाहन किया है। साथ ही आर्मेनियन वंशियों के जत्थे बड़ी संख्या में स्थानांतरण करने लगे हैं।

वंश संहार के ड़र से आर्मेनियन जनता भाग रही हैं और इसी बीच नागोर्नो-काराबाख की राजधानी स्टेपानाकर्ट के ईंधन डिपो में भीषण विस्फोट हुआ। इसमें कम से कम १२५ लोगों के मारे जाने की जानकारी आर्मेनिया के माध्यमों ने प्रदान की है। विस्फोट की तीव्रता के मद्देनजर मृतकों की संख्या बढ़ेगा, यह ड़र जताया जा रहा है। पिछले दो दिनों में इस जगह से २८,२१० लोगों ने स्थानांतरण किया हैं और अगले कुछ दिनों में इन की संख्या बढ़कर तिगुनी होने की संभावना जताई जा रही है। इसी बीच अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराबाख पर कब्ज़ा करने के साथ ही इस क्षेत्र में अनाज की आपूर्ति रोक दी है। इस वजह से यहां आर्मेनियन वंशियों की स्थिति अधिक खराब हो रही है।

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