अमरीका रशिया के खिलाफ जैव युद्ध की तैयारी कर रही है

- सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव निकोलाय पत्रुशेव का दावा

मास्को/वॉशिंग्टन – अमरीका अपने सैन्य उपक्रमों के माध्यम से खुफिया जैव अनुसंधान कर रही हैं और इसके इस्तेमाल रशिया समेत अन्य देशों के खिलाफ जैव युद्ध शुरू करने के लिए हो सकता हैं, ऐसा दावा रशिया के सिक्योरिटी कौन्सिल के सचिव निकोलाय पत्रुशेव ने किया। मात्र २४ घंटे पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सूड़ान स्थित जैव प्रयोगशाला विद्रोहियों के हाथ जाने का दावा करके जैव संकट का खतरा होने की चेतावनी दी थी। इसके बाद पत्रुशेव ने अमरीका का ज़िक्र करके जैव युद्ध का चेतावनी देने की बात ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

जैव युद्ध

पत्रुशेव ने अमरीका कर रही जैव अनुसंधान का ज़िक्र करने के साथ ही वैज्ञानिकों ने इसपर बारीकी से ध्यान देना होगा, यह आवाहन भी किया। रशिया के साथ अन्य किसी भी देश के खिलाफ जैव युद्ध शुरू करने से रोकना होगा और इसके लिए जोरदार कोशिशों की आवश्यकता है, ऐसा पत्रुशेव ने आगाह किया। इस दौरान उन्होंने सूचना एवं प्रौद्योगिकी, क्वांटम टेक्नॉलॉजी और एआई की प्रगति का ज़िक्र करके इसका जारी अनुसंधान विश्व में सत्ता के संतुलन पर असर कर सकता है, ऐसा दावा भी किया।

जैव युद्ध

यूक्रेन हमला करने के कुछ दिन बाद ही रशिया ने यूक्रेन स्थित अमरिकी बायोलैब्ज का मुद्दा उठाया था। अमरिकी रक्षा विभाग ने यूक्रेन में २६ जैव प्रयोगशाला शुरू की हैं। इसपर अमरीका का सीधा नियंत्रण हैं और कोरोना के साथ अन्य कई घातक विषाणुओं पर वहां प्रयोग हो रहे हैं, ऐसा आरोप रशिया ने लगाया था। यूक्रेन के सैनिक और आम नागरिकों पर विषाणुओं के प्रयोग किए जा रहे हैं, यह भी रशिया ने कहा है।

जैव युद्ध

इन प्रयोगशाला से अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन का बेटा हंटर बायडेन के ताल्लुकात होने का दावा भी रशिया ने किया था। यूक्रेन के सांसदों ने अमरिकी प्रयोगशालाओं पर आपत्ति जताने के मुद्दे पर भी रशिया ने ध्यान आकर्षित किया था। इससे संबंधित जानकारी और सबूत अंतरराष्ट्रीय यंत्रणाओं के सामने एवं विभिन्न बैठकों में पेश किए गए थे।

कुछ दिन पहले ही रशियन संसद की रपट में यह चेतावनी दी गई थी कि, अमरीका ने ‘युनिवर्सल जेनेटिकली इंजीनियर्ड बायोवेपन’ विकसित करने की कोशिश शुरू की है। यह हथियार सिर्फ मानव जाति के लिए ही नहीं, बल्कि पशु और पिक पर भी घातक असर करेगा, यह इसारा रशियन संसद की रपट में दिया गया था। अमरीका द्वारा यूक्रेन में चलाए जा रहे जैव लैब्ज्‌‍ और वहां हो रहे अनुसंधान की जांच करने पर यह जानकारी सामने आयी, ऐसा रशियन संसद की समिति ने कहा था।

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