वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘चीन का आर्थिक विकास दर तेज़ीसे कम हो रहा है और इसकी गति उम्मीद से ज्यादा है। कोरोना की महामारी के बाद संभलकर आगे बढ़ने के लिए चीन ने जो मज़बूती दिखाई थी, वह अभ खत्म हुई हैं। रिअल इस्टेट क्षेत्र की बड़ी गिरावट होती दिख रही हैं और आर्थिक व्यवस्थापन के लिए ज़रूरी आत्मविश्वास भी चीन ने खो दिया है’, ऐसा कहकर चीन की अर्थव्यवस्था आगे कभी भी अमरीका को पीछे नहीं छोड़ सकेगी, ऐसा दावा ‘ब्लूमबर्ग इकॉनॉमिक्स’ नामक शीर्ष वेबसाईट ने किया है।
पिछले दशक के अन्त तक तेज़ गति से प्रगति करती दिखी चीन की अर्थव्यवस्था २०३०-४० के दशक में अमरीका को पीछे छोड़कर विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, ऐसे अनुमान व्यक्त किए जा रहे थे। लेकिन, कोरोना के दौर की ‘लॉकडाऊन’ की नीति और अन्य कारणों से चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू हुई है। कुछ ही महीनों में चीन की अर्थव्यवस्था संभलकर पहले की की गति से प्रगति करेगी, ऐसे दावे अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था और विश्लेषकों ने किए थे। लेकिन, ऐसा होने के बजाय चीन की अर्थव्यवस्था को लगातार झटके लग रहे हैं और आर्थिक गिरावट का सिलसिला बरकरार है।
पिछले महीने, विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बने चीन को इस स्थान तक पहुंचाने वाला आर्थिक प्रगति का मॉडेल अब खत्म हुआ है, इस ओर अमरीका के शीर्ष अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने ध्यान आकर्षित किया था। चीन का फिसलता व्यापार, कर्ज का बढ़ता भार, तेज़ी से बदल रही भू-राजनीतिक एवं राजनैतिक गणि, चीन की हुकूमत ने अंदरुनि स्तर पर शुरू की हुई गतिविधियां, नए कान जैसे कई मुद्दों का ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अपने लेख में ज़िक्र किया था। ‘ब्लूमबर्ग इकॉनॉमिक्स’ के दावे से भी इसकी पुष्टि होती दिख रही है।
‘ब्लूमबर्ग इकॉनॉमिक्स’ ने जारी किए ग्राफ में चीन का आर्थिक विकास दर २०३० तक ३.५ प्रतिशत तक फिसलता दिखाया गया है। इसके बाद वह फिसलकर १ प्रतिशत के स्तर पर पहुंचेगा होगा, ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया है। इससे पहले की रपट में चीन का विकास दर २०३० से २०५० के दौरान ४.३ से १.६ प्रतिशत के बीच रहेगा, ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया था। लेकिन, मौजूदा गिरावट देखे तो यह मुमकिन नहीं होगा, ऐसा दावा ‘ब्लूमबर्ग इकॉनॉमिक्स’ ने किया है।
चीन की अर्थव्यवस्था प्रमुखता से निर्यातप्रधान अर्थव्यवस्था है और चीन को ‘विश्व की फैक्टरी’ कही जाती है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में चीन और पश्चिमी देशों के बीच बनी दरार अधिक चौड़ी हो रही हैं। अमरीका और यूरोप चीन के निर्यात के प्रमुख केंद्र हैं और वहां मांग कम होने से विश्व की फैक्टरी बने चीन को बड़े झटके लगने लगे हैं। निर्यात पर जोर देने से चीन की हुकूमत ने अंदरुनि मांग पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था और इसका असर अर्थव्यवस्था पर होना शुरू हुई है। कुछ दिन पहले ही चीन की अर्थव्यवस्था को ‘डिफ्लेशन’ ने नुकसान पहुंचाने की बात सामने आयी थी। यह घटना चीन की अर्थव्यवस्था पर जापान की तरह ‘लॉस्ट डिकेड’ में धकेल सकती है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी थी।
अमरीका के माध्यमों से पहले ब्रिटेन के एक अखबार ने भी ऐसा दावा किया था कि, चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने विश्व पर आर्थिक वर्चस्व बनाने के लिए बनाई योजना विफल हुई है। इसके बाद अब अमरीका के शीर्ष वेबसाइट ने चीन कभी भी विश्व की पहले क्रमांक की अर्थव्यवस्था नहीं बनेगी, यह दावा करके चीन की आर्थिक गिरावट पर मुहर लगाई दिख रही है।
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