यूरोप का ईंधन संकट तीव्र होने की स्थिति में ‘ओपेक प्लस’ ने तेल उत्पादन कम करने का किया ऐलान

‘ओपेक प्लस’

वियना – ईंधन उत्पादक देशों का शीर्ष संगठन ‘ओपेक’ समेत अन्य उत्पादक देशों के गुट के तौर पर पहचाने जा रहे ‘ओपेक प्लस’ ने कच्चे तेल का उत्पादन कम करने का ऐलान किया है। यूरोप में ईंधन संकट तीव्र हो रहा है और इसी बीच ‘ओपेक प्लस’ का यह ऐलान ध्यान आकर्षित करता है। ओपेक प्लस का यह निर्णय राजनीतिक भूमिका का हिस्सा है और पश्चिमी देशों को संदेश देने की कोशिश है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इसी बीच पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध हटाए बिना यूरोप की ईंधन सप्लाई सामान्य नहीं करेंगे, ऐसी चेतावनी रशिया ने दी है।

‘ओपेक प्लस’

रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया द्वारा ईंधन सप्लाई में कटौती की जा रही है। पश्चिमी देशों ने हम पर प्रतिबंध लगाए या कीमत को काबू में करने की कोशिश की तो हम कच्चे तेल एवं नैसर्गि ईंधन वायु का निर्यात रोक देंगे, यह इशारा भी रशिया ने दिया था। रशिया का यह इशारा वास्तव में उतारा गया तो ईंधन बाज़ार में बड़ी उथल-पुथल होगी और कच्चे तेल की कीमत उछलकर प्रति बैरल २०० से ३०० डॉलर्स तक पहुँच सकती है। इस संभावना के मद्देनज़र पश्चिमी देशों ने ‘ओपेक’ को ईंधन सप्लाई बढ़ाने का आवाहन किया था। इसके अनुसार पिछले तीन महीनों में ‘ओपेक प्लस’ ने सात लाख बैरल्स उत्पादन बढ़ाया था।

लेकिन, अब ‘ओपेक प्लस’ ने अपनी भूमिका में बदलाव किया है और अगले महीने से उत्पादन में एक लाख बैरल्स कटौती करने का निर्णय किया है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की अनिश्चितता और ईरान डील के बाद तेल उत्पादन में होनेवाली बढ़ोतरी की वजह बतायी गई हैं। अब तक की बढ़ोतरी की तुलना में यह कटौती ना के बराबर है, फिर भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसी गूंज सुनाई देने लगी है। ‘ओपेक प्लस’ के ऐलान के बाद कुछ ही घंटों में कच्चे तेल की कीमतें तीन प्रतिशत उछलीं और कीमत प्रति बैरल ९५ डॉलर्स हुई। करीबी दिनों में यह कीमत फिर से १०० डॉलर्स का स्तर पार कर सकती है, ऐसे संकेत विश्लेषकों ने दिए हैं।

‘ओपेक प्लस’

अमरीका और यूरोप समेत अन्य पश्चिमी देशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र पर बड़ी मात्रा में प्रतिबंध लगाए हैं। यूरोपिय देशों ने अगले कुछ सालों में रशिया से ईंधन आयात पूरी तरह से रोकने के महत्वाकांक्षी इरादे भी घोषित किए हैं। लेकिन, भविष्य की योजनाओं का ऐलान कर रहे यूरोपिय देशों को वर्तमान में ईंधन की सप्लाई और बढ़ती कीमतों के मसलों का हल ढूंढ़ना मुमकिन नहीं हुआ है। इसके लिए उन्हें खाड़ी और अफ्रीकी देशों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।

इसी बीच, रशियन सरकार के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध हटाए बिना यूरोप की ईंधन सप्लाई सामान्य नहीं होगी, यह इशारा दिया है। रशिया ने ‘नॉर्ड़ स्ट्रीम १’ ईंधन पाइलपाइन से हो रही आपूर्ति तकनीकी कारण से बंद कर दी है। इससे यूरोपिय देशों में ईंधन वायु की कीमत ३० प्रतिशत बढ़ी है और इन देशों में भीषण बेचैनी निर्माण हुई है। ईंधन सप्लाइ बंद होने के पीछे प्रतिबंध और यूरोप की नीति ज़िम्मेदार होने का आरोप भी रशिया ने लगाया है।

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