चीन की जासूसी रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने गठित किया ‘हाय लेव्हल इंटेलिजन्स टास्क फोर्स’

चीन की जासूसी रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने गठित किया ‘हाय लेव्हल इंटेलिजन्स टास्क फोर्स’

कैनबेरा/बीजिंग – ऑस्ट्रेलिया के हितसंबंधों को खतरा साबित होनेवाली हरकतें उधेडी जाएगी, इन आक्रामक शब्दों में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ‘हाय लेव्हल इंटेलिजन्स टास्क फोर्स’ का गठन करने का ऐलान किया| पिछले वर्ष से ऑस्ट्रेलिया की राजनिती, सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा क्षेत्र में चीन ने खुफिया हरकतें शुरू करने की जानकारी लगातार सामने आ रही थी| इस पृष्ठभूमि पर नया ‘टास्क फोर्स’ का गठन चीन की हरकतें रोकने के लिए ही होने का दावा ऑस्ट्रेलियन सूत्रों ने किया है|

पिछले सप्ताह में ऑस्ट्रेलिया की सियासी व्यवस्था पूरी तरह कब्जे में लेने के लिए चीन की सरकार घातक हरकतें कर रही है, यह गंभीर आरोप ऑस्ट्रेलियन गुप्तचर यंत्रणा के भूतपूर्व ऑस्ट्रेलियन गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख डंकन लुईस ने किया था| इसके साथ ही चीन के एक गुप्तचर ने चीन की सरकार और गुप्तचर यंत्रणा ऑस्ट्रेलिया के साथ अन्य देशों के सियासी एवं अन्य क्षेत्रों में किस तरह से हस्तक्षेप कर रहे है, इसका पोलखोल किया था| इस घटना के बाद चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत ने ऑस्ट्रेलिया के सियासी क्षेत्र में शुरू की हरकतों की जांच करने के आदेश दिए गए थे|

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इसके बाद चीन के विरोध में कडी भूमिका अपना रहे प्रधानमंत्री मॉरिसन ने ‘टास्क फोर्स’ का ऐलान करके चीन को बडा झटका दिया है| इस ‘टास्क फोर्स’ में ऑस्ट्रेलिया की सभी गुप्तचर यंत्रणाओं का समावेश है और इसके लिए छह करोड डॉलर्स का प्रावधान भी किया गया है| कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया की संसद ने देश के अलग अलग क्षेत्रों में विदेशी शक्तियों के बढते हस्तक्षेप का सामना करने के लिए नया कानून भी पारित किया था| चीन का जिक्र होनेवाले इस कानून पर कडी प्रतिक्रिया दर्ज हो रही थी| ऑस्ट्रेलिया में नियुक्त चीन के राजदूत एवं अन्य वरिष्ठ अफसरों ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार को द्विपक्षीय सहयोग और व्यापार के मुद्दे पर चेतावनी भी दी थी|

पर, चीन के दबाव के आगे झुके बिना ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपनी आक्रामक नीति बरकरार रखने की बात नए ‘टास्क फोर्स’ के गठन से दिखाई दे रही है| इस विषय की जानकारी देते समय प्रधानमंत्री मोरिसन ने ऑस्ट्रेलिया को होनेवाला विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप का खतरा बढने की बात का स्पष्ट जिक्र किया|

पिछले वर्ष से व्यापार, साउथ चायना सी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र समेत कई अन्य मुद्दों पर ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंधों में तनाव बना हुआ है| ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन से खुलेआम संघर्ष करने की भूमिका अपनाई है और किसी भी स्थिति में चीन का दबाव या हस्तक्षेप बर्दाश्त नही किया जाएगा, यह इशारा भी दिया है| इस वजह से पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया में प्रभाव बढाने की कोशिश कर रही चीन की हुकूमत में काफी बेचैनी बनी है|

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