अमरिकी ‘पॉकेट हेलिकॉप्टर ड्रोन्स’ की अफगानिस्तान में तैनाती होगी

अमरिकी ‘पॉकेट हेलिकॉप्टर ड्रोन्स’ की अफगानिस्तान में तैनाती होगी

काबुल – अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी करने का ऐलान किया था| लेकिन, उसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों की तीव्रता और भी बढ चुकी है और इस पृष्ठभूमि पर अमरिका ने अफगानिस्तान में जारी लष्करी मुहीम अगले कुछ समय के लिए बरकरार रखने के संकेत दिए है| साथ ही इस दौरान लष्करी मुहीम में अधिक प्रगत तकनीक का इस्तेमाल होगा और इसी बीच वर्तमान महीने में अफगानिस्तान में ‘पॉकेट हेलिकॉप्टर ड्रोन्स’ तैनात करने का अमरिका ने किया निर्णय काफी अहम समझा जा रहा है|

अमरिकी सेना ने प्रसारमाध्यमों को दी जानकारी में ‘ब्लैक हॉर्नेट’ नाम के ‘पॉकेट ड्रोन्स’ अफगानिस्तान में तैनात करने की बात कही है| सेना की ‘८२ एअरबोर्न डिव्हिजन’ से इन ड्रोन्स का इस्तेमाल होगा और इन ड्रोन्स का इस्तेमाल लष्करी गश्त के लिए करने का प्लैन है| विशेष बात यह है की, सेना की टुकडी में हर एक सैनिक के लिए स्वतंत्र ‘ड्रोन सिस्टिम’ का प्रयोग होगा और यह ड्रोन अब सैनिकों के ‘मिलिटरी गिअर’ का हिस्सा होगा, यह भी स्पष्ट किया गया है| ‘ब्लैक हॉर्नेट’ का समावेश होनेवाले लष्करी दल की तैनाती अफगानिस्तान के कंदाहार में करने के संकेत सूत्रों ने दिए है| 

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सीर्फ ६.५ इंच लंबाई और लगभग ३३ ग्रैम भार के यह ‘ब्लैक हॉर्नेट ड्रोन्स’ में कई कैमेरे जोडे गए है| रात के अंधेरे में स्पष्ट चित्र दिखाने की क्षमता रखनेवाले इन ड्रोन्स में ‘थर्मल इमेजिंग’ तकनीक का भी प्रयोग हुआ है| ‘सायलेंट मोड’ में काम करने में सक्षम यह ड्रोन्स प्रति घंटा २५ किलोमीटर गति से करीबन २५ मिनिट तक उडान भर सकते है| स्वयंचलित एवं ‘मॅन्युअली’ इन दोनों तरह से यह ड्रोन इस्तेमाल हो सकते है और इस ड्रोन में प्रयोग हुई तकनीक की विशेषता के कारण यह ड्रोन्स ‘जीपीएस’ के बिना भी अपना काम कर सकते है|

‘यह ड्रोन तकनीक सैनिकों के जान की रक्षा करनेवाली तकनीक साबित होगी| जंग के दौरान सैनिकों पर हो रहे हमले और इस दौरान होनेवाले जानलेवा जख्मों से यह ड्रोन सैनिकों को दूरी पर रखने में कामयाब होंगे| साथ ही जंग में सैनिकों की कार्रवाई की सटिकता भी इस ड्रोन्स की सहायता से बढेगी, यह विश्‍वास ‘ब्लैक हॉर्नेट ड्रोन’ यंत्रणा के साथ प्रशिक्षित किए गए सैनिक ने व्यक्त किया है| यह ड्रोन हैंकिंग से भी सुरक्षित होने का दावा इस ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दे रहे अधिकारी ने किया है|

अमरिकी सेना ने तीन वर्ष पहले अपने ‘स्पेशल फोर्से’स के प्रशिक्षण के दौरान ‘ब्लैक हॉर्नेट’ इस मिनी ड्रोन्स सिस्टिम का इस्तेमाल किया था| इसके बाद पिछले तीन वर्षों से इस तकनीक के कई परीक्षण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहे है| अफगानिस्तान में हो रही इन ड्रोन्स की तैनाती यानी असल युद्ध में इन ड्रोन्स का पहली बार इस्तेमाल होगा, यह समझा जा रहा है| अमरिकी सेना ने दो ड्रोन्स का समावेश होनेवाले कुले नौ हजार यंत्रणाओं की मांग दर्ज की है|

अमरिकी रक्षा दल ने पिछले कुछ वर्षों में सैनिकों के लिए अधिक से अधिक प्रगत तकनीक पर आधारित यंत्रणा विकसित करने पर जोर दिया है और इन यंत्रणाओं का इस्तेमाल करने की तैयारी भी शुरू हुई है| इस में ‘ड्रोन’ तकनीक सबसे आगे है और ‘लेजर’ एवं ‘नैनो’ तकनीक का इस्तेमाल होनेवाले ड्रोन्स का भी समावेश है|

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