वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए विश्व के विभिन्न हिस्सों में अपने पैर जमाने की कोशिश में होने की जानकारी अमरिकी रक्षा विभाग की रपट से सामने आयी है। पिपल्स लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान के ग्वादर के साथ श्रीलंका, म्यानमार, अंगोला, ताजिकिस्तान जैसे १२ देशों में अपने रक्षा अड्डों का निर्माण करने की शुरूआत की है, ऐसी चेतावनी पेंटॅगॉन की रपट में दी गई है। इन अड्डों का निर्माण करने के लिए बेल्ट ऐण्ड रोड़ इनिशिएटिव जैसी योजनाओं का इस्तेमाल खुफियां तरीके से होने का इशारा भी अमरीका ने दिया है। कुछ महीने पहले ही पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में नौसेना का बड़ा अड्डा स्थापित करने के काम में चीन जुटा होने का दावा अमरीका के लष्करी अभ्यासक ‘एच.आय.सटन’ ने किया था।
अमरिकी रक्षा विभाग ने हाल ही में ‘मिलिटरी ऐण्ड सिक्युरिटी डेवलपमेंट इन्वॉल्विंग द पिपल्स रिपब्लिक ऑफ चायना २०२०’ नामक रपट जारी की है। संसद में पेश की गई इस रपट में बीते २० वर्षों के दौरान चीन ने रक्षा क्षेत्र में की हुई प्रगति, योजनाएं और महत्वाकांक्षा का ज़िक्र किया गया है। चीन की सेना ने वर्ष २०१७ में अफ्रीका के जिबौती में विदेश में अपना पहला लष्करी अड्डा सक्रिय किया था। इसके बाद चीन ने एशिया के साथ अफ्रीका और लैटिन अमरिकी देशों में रक्षा अड्डे स्थापित करने की गतिविधियां तेज़ कीं। बीते तीन वर्षों में चीन की पिपल्स लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान के ग्वादर समेत अफ्रीकी महाद्विप के नामिबिया और लैटिन अमरीका के अर्जेंटिना में रक्षा अड्डा स्थापित करने का काम लगभग पूरा कर लिया है। टैकिंग, टेलिमेट्री ऐण्ड कमांड स्टेशन के स्वरूप में यह अड्डे सक्रिय होने की बात पेंटॅगॉन ने अपनी रपट में दर्ज़ की है।
इसके अलावा म्यानमार, श्रीलंका, थायलैण्ड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, यूएई, केनिया, सेशल्स, टांज़ानिया, अंगोला एवं ताजिकिस्तान जैसे देशों में भी अपने रक्षा अड्डे स्थापित करने की कोशिश चीन कर रहा है। मिलिटरी लॉजिस्टिक्स फैसिलिटीज् के नाम से यह गतिविधियां जारी होने की चेतावनी अमरिकी रक्षा विभाग ने दी है। इन अड्डों को स्थापित करने के लिए व्यापार और निवेश के नाम से शुरू किए ‘बेल्ट ऐण्ड रोड़ इनिशिएटिव’ का इस्तेमाल होने का दावा इस रपट में किया गया था। पाकिस्तान में इस ‘बेल्ट ऐण्ड रोड़ इनिशिएटिव’ की योजना के तहत शुरू किए गए ‘पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ के लिए जारी गतिविधियां इसके पुख्ता नमूने होने की ओर अमरिकी रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है।
बीते कुछ वर्षों से भारतीय विश्लेषक ग्वादर में चीन की लष्करी गतिविधियां बढ़ने के इशारे दे रहे थे। पाकिस्तान के साथ ही म्यानमार, बांगलादेश, श्रीलंका में भी चीन अपना लष्करी अड्डा स्थापित करने के लिए गतिविधियां कर रहा है, यह इशारा भी दिया गया है। लेकिन, बांगलादेश के साथ म्यानमार और श्रीलंका में चीन की संबंधित मंशा को सुरंग लगी है और इसकी वजह से चीन ने पाकिस्तान पर अपना ध्यान अधिक केंद्रीत किया हुआ दिख रहा है। जून महीने में अमरिकी अभ्यासक ‘एच.आय.सटन’ ने ग्वादर स्थित चिनी अड्डे की जानकारी साझा करने के साथ सैटेलाइट से प्राप्त फोटो भी जारी किए थे। इसमें सैनिकों के लिए की गई निवास व्यवस्था, बड़ी दिवारें, सुरक्षा चौकियां, लष्करी टॉवर, तार की बाढ़ दिखाई दे रही थी।
जिबौती और पाकिस्तान के साथ ही पैसिफिक महासागर के वनाटु द्विप पर एवं आग्नेय एशिया के कंबोडिया में गुप्त तरीके से लष्करी अड्डा स्थापित करने की चीन की कोशिश भी सामने आयी है। चीन की इन गतिविधियों को चुनौती देने के लिए अमरीका ने पहल की है और भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ यूरोपिय देशों का मज़बूत गुट निर्माण करने की गतिविधियां जारी हैं।
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