येरेवान/बाकु – बीते छह दिनों से मध्य एशिया स्थित आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शुरू हुए युद्ध में अज़रबैजान के करीबन तीन हज़ार सैनिक मारे जाने का सनसनीखेज़ दावा आर्मेनियन प्रवक्ता ने किया है। यह दावा सामने आ रहा था तभी अमरीका-रशिया-फ्रान्स ने आर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों देशों को युद्धविराम करने का आवाहन किया है। आर्मेनिया ने यह प्रस्ताव स्वीकारने की तैयारी दिखाई है, फिर भी तुर्की ने यह प्रस्ताव स्वीकार ना होने का इशारा दिया है। इससे नज़दिकी दिनों में युद्ध की तीव्रता अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
आर्मेनिया-अज़रबैजान सीमा पर स्थित नागोर्नो-कैराबख के स्वायत्त प्रांत में बीते रविवार से जोरदार संघर्ष हो रहा है। छह दिन बाद भी यह संघर्ष थमा नही है और दोनों ओर से एक-दूसरे का बड़ा नुकसान करने का दावा किया जा रहा है। कुछ दिन पहले अज़रबैजान ने इस जंग में आर्मेनिया के दो हज़ार से अधिक सैनिक मारने का दावा किया था। अपने हमलों की जानकारी साझा कर रहे कुछ वीडियो और फोटो भी अज़रबैजान ने प्रसिद्ध किए थे।
अज़रबैजान के इन दावों पर प्रत्युत्तर देते समय आर्मेनिया के प्रवक्ता ने अज़रबैजान के तीन हज़ार से अधिक सैनिक ढ़ेर करने की जानकारी साझा की है। गुप्तचर यंत्रणा के हाथ लगी जानकारी के अनुसार अज़रबैजान के तीन हज़ार से अधिक सैनिक मारे गए हैं। कई सैनिकों के शव अभी भी युद्धक्षेत्र में पड़े हैं और इसके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं की गई हैं, यह दावा आर्मेनिया के प्रवक्ता व्हैग्रैम पोगोस्यान ने किया। अज़रबैजान ने शुक्रवार से हमलों की तीव्रता बढ़ाने का समाचार है और नागोर्नो-कैराबख में कुछ अहम ठिकानों पर कब्ज़ा किया होने की बात कही जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने युद्धविराम करने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं और तभी यह जानकारी सामने आयी है।
अमरीका, रशिया और फ्रान्स ने संयुक्त निवेदन जारी करके आर्मेनिया और अज़रबैजान को तुरंत हमले बंद करने का इशारा दिया है। साथ ही, दोनों देश बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार हों, यह आवाहन भी किया है। आर्मेनिया के विदेश विभाग ने बातचीत का प्रस्ताव स्वीकारने के संकेत दिए हैं। लेकिन, अज़रबैजान का समर्थन कर रहे तुर्की ने अमरीका, रशिया और फ्रान्स का आवाहन नकारा है। युद्धविराम के लिए गतिविधियां कर रहे देशों ने बीते ३० वर्ष तक इस समस्या को अनदेखा किया और इस वजह से उनका प्रस्ताव अस्वीकार्य साबित होता है, यह आरोप तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने किया है।
इससे पहले तुर्की ने आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध को लेकर रशिया का आवाहन भी ठुकराया था। इसके बाद अब अमरीका और फ्रान्स की पहल से किया गया प्रस्ताव भी तुर्की ने ठुकराया है। इससे तुर्की ने आर्मेनिया-अज़रबैजान के मुद्दे पर नाटो देशों को भी दुखाया हुआ दिख रहा है। इसका तुर्की को बड़ा झटका लगेगा, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।
इसी बीच, आर्मेनिया के उप-विदेशमंत्री अवेत अदोन्त्स ने एक भारतीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में अज़रबैजान में पाकिस्तानी सैनिक सक्रिय होने की बात दोहराई। पाकिस्तानी सैनिक तुर्की के ज़रिये अज़रबैजान पहुँचे हैं। हमारे लिए यह आश्चर्य की बात नहीं है और यह बात सबूतों के साथ जल्द ही साबित होगी, यह बात उप-विदेशमंत्री अदोन्त्स ने कही है। अदोन्त्स के बयान पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया उमड़ रही है। आर्मेनिया बिल्कुल फिक्र ना करे। पाकिस्तानी सेना जंग में हारने का बड़ा इतिहास है। पाकिस्तानी सैनिक आपके लिए शुभ संकेत साबित होंगे, ऐसी फटकार भारत के एक पूर्व सुरक्षा अधिकारी ने लगाई है।
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