लंदन/बीजिंग – झिंजियांग प्रांत में उइगरवंशियों पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने काफी अत्याचार करके उनका नरसंहार किया, मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है, ऐसा प्रस्ताव ब्रिटेन की संसद में मंजूर किया गया है। अमरीका, बेलजियम, नेदरलैण्ड और कनाड़ा के बाद उइगरों के नरसंहार से संबंधित प्रस्ताव संसद में पारित करनेवाला ब्रिटेन पांचवां नाटो सदस्य देश साबित हुआ है। इस वजह से आगबबूला हुए चीन ने ब्रिटिश संसद ने पारित किया प्रस्ताव बेबुनियाद होने का आरोप करके अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को ठुकराया है।
अमरीका, यूरोपिय महासंघ और ऑस्ट्रेलिया समेत ब्रिटेन ने बीते महीने उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन के विरोध में कार्रवाई करने का ऐलान किया था। इसके अनुसार ब्रिटेन की संसद में चीनी अफसरों पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई भी की थी। इसके साथ ही चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने झिंजियांग प्रांत में उइगरों का नरसंहार करने का आरोप ब्रिटीश सांसदों ने लगाया था। उइगरों पर इस अत्याचार पर क्रोध व्यक्त करके ब्रिटेन के सांसदों ने चीन के खिलाफ प्रस्ताव रखा था।
ब्रिटेन की इस कार्रवाई से चीन की हुकूमत को जोरदार झटका लगा था। इस पर क्रोधित चीन ने ब्रिटेन के ११ लोगों पर प्रतिबंध घोषित किए थे। इनमें सर इयान डंकन स्मिथ, टॉम ट्युगेंडहैट, नील ओब्रायन, टिम लॉटन और नसरत गनी जैसे नौं सांसदों का समावेश था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने चीन के इन प्रतिबंधों की आलोचना करके अपनी सरकार सांसदों के समर्थन में होने का ऐलान किया था। गुरूवार के दिन ब्रिटेन की संसद में यह प्रस्ताव पारित हुआ।
झिंजियांग के बड़े जेल में उइगरवंशियों को कैद करके चीन मानव अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है, ऐसा आरोप ब्रिटेन ने लगाया है। चीन के झिंजियांग प्रांत के शू गुईशियांग नामक अफसर ने ब्रिटेन के इस प्रस्ताव की आलोचना की। ब्रिटीश संसद का निर्णय बेबुनियाद है और कुछ नेताओं के आरोपों के आधार पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं, ऐसा बयान गुईशियांग ने किया है। तभी, ब्रिटेन पहले से ही अंदरुनि समस्याओं का सामना कर रहा है और ब्रिटेन इसी पर ध्यान दे। चीन के अंदरुनि कारोबार में ब्रिटेन अपनी नाक ना घुसेड़े, ऐसा इशारा चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है।
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