तीसरे विश्‍वयुद्ध में ‘कोरोना का जैविक अस्त्र’ इस्तेमाल करने की चीन की साज़िश बेनकाब – चीन ने पांच वर्ष पहले ही तैयारी जुटाने के कागजात अमरीका के हाथों में

तीसरे विश्‍वयुद्ध में ‘कोरोना का जैविक अस्त्र’ इस्तेमाल करने की चीन की साज़िश बेनकाब – चीन ने पांच वर्ष पहले ही तैयारी जुटाने के कागजात अमरीका के हाथों में

वॉशिंग्टन – चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने वर्ष २०१५ में ही तीसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान कोरोना वायरस का बतौर जैविक हथियार इस्तेमाल करने की महाभयंकर साज़िश रची थी। अमरीका के विदेश विभाग ने बरामद किए कागजात से यह दहलानेवाली पोल खोली है। ऑस्ट्रेलिया के नामांकित अखबार ने इससे संबंधित खबर प्रसिद्ध की है। बुधवार के दिन ब्राज़िल के राष्ट्राध्यक्ष जेर बोल्सोनारो ने भी कोरोना वायरस यानी चीन के जैविक युद्ध का हिस्सा होने का गंभीर आरोप लगाया था। इससे पहले इस्रायल के पूर्व गुप्तचर अफसर ने भी कोरोना जैविक हथियार होने का दावा किया था।

वर्ष २०१५ में चीन के लष्करी वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रिसर्च पेपर प्रसिद्ध किया था। ‘द अननैचरल ओरिजिन ऑफ सार्स ऐण्ड न्यू स्पीशीज़ ऑफ मैनमेड वायरसस एज जेनेटिक बायोवेपन्स’ नामक यह पेपर था। इसमें तीसरा विश्‍वयुद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकेगा, ऐसा अनुमान दर्ज़ किया गया था। ‘सार्स कोरोना वायरस’ प्रकार के विषाणु इस गुणसूत्र-संबंधी हथियारों के नए युग की शुरूआत साबित होंगे, ऐसा दावा चीनी वैज्ञानिकों ने किया था।

‘कोरोना वायरस’ प्रकार के विषाणुओं में कृत्रिम पद्धति से बदलाव करके मानवी बिमारी होने की बात साबित करना मुमकिन होगा। इसके बाद इसका हथियारों की तरह इस्तेमाल करके पूरे विश्‍व में संक्रमण फैलाना मुमकिन होगा। ऐसे जैविक हथियार के हमले से शत्रु देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से तबाह करना संभव हो सकता है’, इन शब्दों में चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने जैविक युद्ध की योजना तैयार करने बात स्पष्ट हुई है। इसी ‘डॉक्युमेंट’ में जैविक घटकों का पर्याप्त मात्रा में भंड़ारण करके बाद में इसे हवा में फैलाने की तकनीक का ज़िक्र भी किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया के ‘द ऑस्ट्रेलियन’ नामक नामांकित अखबार ने इससे संबंधित जानकारी प्रसिद्ध की है। इसमें ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक इस मुद्दे पर एक किताब प्रकाशित करेंगे, यह भी कहा गया है। अमरीका के विदेश विभाग ने बरामद किए कागजातों की सच्चाई परखी गई है, यह दावा भी इस खबर में किया गया है।

वर्ष २०१९ में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू होने के साथ ही इस पर चीन की भूमिका संदिग्ध रही है। अपने खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों से बचने के लिए चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी लगातार दबाकर रखी। साथ ही इसका उद्गम अन्य देशों में होने के बेताल दावे भी चीन ने किए। कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर बयान करने वाले चीनी वैज्ञानिकों को दबाया गया। इसी बीच कई पत्रकारों को भी गायब किया गया था। कुछ वैज्ञानिकों ने अपनी जान के ड़र से चीन छोड़कर अन्य देशों में आश्रय लिया था। इन वैज्ञानिकों ने भी चीन के जैविक हथियारों के कार्यक्रम की जानकारी सार्वजनिक की थी।

इसी बीच, अमरीका के सांसदों ने कोरोना वायरस का संक्रमण चीन के वुहान लैब से शुरू हुआ यह दावा करके अमरीका इस संक्रमण की जाँच करे, एवं इससे संबंधित सभी कागजात संसद के सामने रखे, यह माँग बड़ी तीव्रता से रखी है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना संक्रमण का उद्गम चीन के वुहान लैब से ही हुआ, यह आरोप लगाया था। साथ ही कोरोना वायरस का ज़िक्र डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा से ‘वुहान वायरस’ ही कर रहे थे।

English  मराठी

इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:

https://twitter.com/WW3Info
https://www.facebook.com/WW3Info