वॉशिंग्टन/लंडन/बीजिंग – मार्च महीने में सामने आए ‘माइक्रोसॉफ्ट एक्सेंज सर्व्हर’ पर हुए हमले के पीछे चीन का ही हाथ होने का दोषारोपण अमरीका समेत अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने किया है। इस साइबर हमले का झटका अमरीका समेत, दुनिया भर के ३० हज़ार उपक्रमों को लगा था। सोमवार को इस साइबर हमले पर अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलंड इन देशों समेत नाटो तथा युरोपीय महासंघ ने एकत्रित निवेदन जारी करके चीन को ज़िम्मेदार ठहराया। यह साइबर हमला यानी अपराधिक मामला होने का दोषारोपण इस निवेदन में किया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने पहली ही बार इस प्रकार चीन के साइबर हमलों के विरोध में एकजुट दिखाकर आवाज़ उठाई है।
साइबर हमलों के मोरचे पर चीन यह रशिया से भी बदतर और घातक देश है। साइबर हमले करनेवाले हैकर्स को चीन की हुकूमत आश्रय दे रही होकर, हमले करने के लिए आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कर रही है, ऐसा घोषित करके अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने चीन को झटका दिया।
साथ ही चीन ने किए साइबर हमलों की जांच अभी भी जारी है, यह जानकारी भी बायडेन ने दी। बायडेन पत्रकार परिषद के बाद व्हाइट हाउस ने इस पर स्वतंत्र निवेदन भी जारी किया है।
इस निवेदन में, अमरीका समेत प्रमुख मित्र और सहयोगी देशों ने साइबर हमलों के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराया होने की जानकारी दी गई। चीन की ‘मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्युरिटी’ यह यंत्रणा इन हमलों के पीछे होने की बात भी इसमें कही गई है। बायडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने, इस मुद्दे पर चीन की हुकूमत से चर्चा होगी है यह भी नमूद किया।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने भी चीन पर आरोप करते समय, माइक्रोसॉफ्ट पर हुए हमले यह साइबर घातपात श्रेणी का मामला है, ऐसा तीखा आरोप किया। चीन का यह कृत्य गुनाहगारी किस्म का होकर, इसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने का समय आया है, यह भी ब्रिटिश विदेश मंत्री ने जताया।
पिछले साल भर में अमरिकी कंपनियों पर बड़े पैमाने पर साइबर हमले होने की घटनाएँ सामने आईं है। उनमें से ‘सोलरविंडस्’ इस कंपनी पर हुए हमले के पीछे रशियन हैकर्स होने का दोषारोपण अमरीका ने किया था। इस मामले में रशिया के विरोध में प्रतिबंध लगाने की और जवाबी हमले करने की चेतावनी भी अमरीका ने दी थी। लेकिन चीन ने किए साइबर हमलों के मामले में कार्रवाई की भूमिका बायडेन प्रशासन ने नहीं अपनाई थी।
इस पृष्ठभूमि पर, सोमवार को अमरीका ने अपने मित्र और सहयोगी देशों के साथ चीन के विरोध में अपनाई ठोस भूमिका गौरतलब साबित होती है। युरोपीय महासंघ ने इससे पहले के दौर में चीन के साइबर हमलों के विरोध में कुछ खास आक्रामक भूमिका नहीं अपनाई थी। इस कारण अमरीका ने पहल करने के बाद उसमें युरोपीय महासंघ ने लिया सहभाग भी अहम साबित होता है।
चीन ने उस पर हुए ये गंभीर आरोप नकारे हैं। लेकिन कोरोना, साऊथ चाइना सी, उइगरवंशीय और मानवाधिकारों के बाद अब साइबर हमलों के मुद्दे पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने शुरू किया यह मोरचा, चीन के लिए नई चुनौती साबित हो सकती है।
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