वॉशिंग्टन – अमरीका की गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआईए’ ने विदेश में नियुक्त अपने एजेंट्स मारे जाने की तथा पकड़े जाने की कबुली दी है। पिछले हफ्ते ‘सीआईए’ की वरिष्ठ अधिकारी ने दुनिया भर के सभी स्टेशन्स और अड्डों पर इस संदर्भ में चेतावनी देनेवाला संदेश भेजा है। अमरीका के ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ ने इस मामले में खबर दी है। पिछले दशक में चीन ने ‘सीआईए’ के एजेंट्स का नेटवर्क ध्वस्त किया होने के दावे सामने आए थे। लेकिन गुप्तचर यंत्रणा की वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भेजा गया संदेश यह सार्वजनिक रूप में दी हुई पहली ही कबुली मानी जाती है।
पिछले हफ्ते ‘सीआईए’ के ‘काऊंटरइंटेलिजन्स मिशन’ की ज़िम्मेदारी होनेवाली वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दुनिया भर के सभी ‘सीआईए स्टेशन्स’ और अड्डों को ‘सिक्रेट केबल’ भेजी गई। इसमें सीआईए का ‘काऊंटरइंटेलिजन्स मिशन सेंटर’ विदेशी एजेंट के संदर्भ में कई मामलों पर काम कर रहा होने की बात कही गई है। यह विदेशी एजेंट या तो मारे गए हैं अथवा पकड़े गए होंगे, ऐसा संदेश में बताया गया। संदेश में ऐसे एजेंट्स की संख्या भी नमूद की गई होकर, वह बहुत बड़ी है। दुनिया की गुप्तचर यंत्रणाओं द्वारा इस प्रकार प्रायः कबुली नहीं दी जाती, इसलिए यह जानकारी गौरतलब साबित हुई है।
विदेशी गुप्तचर यंत्रणाएँ सीआईए के एजेंट्स के विरोध में आक्रामक मुहिम चला रहीं हैं, ऐसा इस संदेश में बताया गया। विदेशी गुप्तचर यंत्रणाओं के बारे में बात करते समय रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान का ज़िक्र किया गया है। इन देशों में सीआईए नेटवर्क का भाग होनेवाले एजेंट्स को बड़े पैमाने पर हानी सहनी पड़ी है, ऐसा बताया गया है। उसी समय सीआईए के सामने होनेवालीं विभिन्न मुश्किलों का भी उल्लेख किया गया है।
न्यूयॉर्क टाईम्स ने, सीआईए के ‘काऊंटरइंटेलिजन्स मिशन सेंटर’ की ज़िम्मेदारी होनेवाली शीतल टी. पटेल ने इससे पहले किए कुछ फैसलों का भी उल्लेख किया है। इसमें, इस साल जनवरी महीने में सीआईए के पूर्व अधिकारियों को दी चेतावनी का भी समावेश है। सीआईए के पूर्व अधिकारी विदेशी गुप्तचर यंत्रणाओं के लिए काम ना करें और पत्रकारों के साथ बात ना करें, ऐसा पटेल ने चेताया था। सीआईए में फिलहाल कार्यरत होनेवाले अधिकारियों को भी उन्होंने चेतावनी दी बताई जाती है। गुप्तचर यंत्रणा के प्रवक्ता ने इस मामले में बात करने से इन्कार किया है।
विदेशों में सीआईए एजेंट्स मारे जाने के पीछे, विदेशी यंत्रणाओं को कम समझना, यह एक महत्वपूर्ण घटक साबित होने का दावा पूर्व अधिकारी और एजेंट्स द्वारा किया गया है। सीआईए एजेंट्स का सुराग निकालकर उन्हें लक्ष्य करने की कुशलता विदेशी यंत्रणाओं के पास भी है, यह बात सीआईए भूली होने की आलोचना पूर्व अधिकारियों ने की। उसी समय, आतंकवाद का खतरा और गुप्त संदेश यंत्रणा इन पर अधिक ज़ोर देना भी अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा को महँगा पड़ा, इसपर गौर फरमाया गया है।
चीन और रशिया की बढ़ती चुनौती और अफगानिस्तान से वापसी इस पृष्ठभूमि पर ‘सीआईए’ को अपना नेटवर्क अधिक मज़बूत बनाने की जरूरत होने का दावा ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ ने अपने लेख में किया है।
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