बिजली की किल्लत से डीज़ल का इस्तेमाल बढ़ने पर चीन में डीज़ल का राशनिंग शुरू

बीजिंग – चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रहा ऊर्जा संकट अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ईंधन की माँग में बढ़ोतरी और इसकी बढ़ती कीमत एवं इसी दौरान निर्माण हुई किल्लत से चीन के कई प्रांतो को बिजली की किल्लत ने नुकसान पहुँचाया था। इसमें से रास्ता निकालने के लिए चीन के उद्योगों ने जनरेटर्स का आधार लिया था। लेकिन, डीज़ल पर चल रहे इन जनरेटर्स का इस्तेमाल होने से चीन में अब डीज़ल की किल्लत सताने लगी है और इसका हल निकालने के लिए डीज़ल की राशनिंग की जा रही है। लेकिन, इस राशनिंग से कच्चे सामान एवं तैयार उत्पादनों की यातायात करने वाले वाहनों को नुकसान पहुँच रहा है और इसके सप्लाई चेन और अर्थव्यवस्था पर तीव्र परिणाम होंगे, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है।

डिझेलचे रेशनिंग, डीज़ल

चीन को बीते कुछ महीनों से बिजली की किल्लत से बड़ा नुकसान पहुँच रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था की रीड़ माने जा रहे उत्पादन क्षेत्र में इसकी गूँज सुनाई दे रही है और कई कारखाने बंद हो चुके हैं। बिजली की आपूर्ति खंड़ित होने पर कई प्रांतों में स्थित कारखानों ने जनरेटर्स की सहायता से काम जारी रखने का विकल्प अपनाया है। इन जनरेटर्स के लिए डीज़ल का इस्तेमाल होने से चीन में डीज़ल की माँग यकायक बहुत बढ़ गई है। चीनी यंत्रणाओं ने इसका अनुमान ना लगाने की वजह से डीज़ल का उत्पादन सीमित रहा। लेकिन, माँग बढ़ने से कई ईंधन पंपस्‌ पर डीज़ल की सप्लाई में कटौती की गई है।

सप्लाई कम होने से डीज़ल की राशनिंग शुरू हुई है। हेबेई प्रांत में ट्रक चालकों को पंप पर सिर्फ १०० लीटर डीज़ल दिया जा रहा है। अन्य प्रांतों में यही मात्र लगभग २५ लीटर है। कुछ हिस्सों में ट्रक चालकों को डीज़ल भरने के लिए कई दिन रुकना पड़ रहा है, यह जानकारी सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से सामने आयी है। ईंधन की सप्लाई करने वाले कुछ पंपों पर डीज़ल भरने के लिए १०० से ३०० युआन अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं, ऐसी शिकायतें ट्रक चालक कर रहे हैं।

डिझेलचे रेशनिंग, डीज़ल

डीज़ल के इस राशनिंग से चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचने के संकेत प्राप्त होने लगे हैं। चीन के अंदरुनि हिस्से की सप्लाई चेन में डीज़ल पर चलनेवाले ट्रक और अन्य वाहनों का बड़ी संख्या में समावेश है। लेकिन, राशनिंग की वजह से इस सप्लाई चेन में गड़बड़ी हुई है और इससे सीधे उत्पादन क्षेत्र को नुकसान पहुँच रहा है। कई कारखानों को कच्चा सामान प्राप्त होने में देरी हो रही है और इससे उत्पादन की मात्रा घट गई है। डीज़ल की राशनिंग शुरू होने से जनरेटर्स के इस्तेमाल पर भी असर पड़ा है। इससे उत्पादनों के निर्माण में भी विलंब होने लगा है। यातायात करने वाले ट्रक्स को पर्याप्त ईंधन उपलब्ध ना होने से तैयार सामान भेजने में भी मुश्‍किलें खड़ी हुई हैं।

बिजली की किल्लत की वजह से चीन का उत्पादन क्षेत्र और उद्योग पहले ही संकट में घिरा था। इसमें अब डीज़ल के राशनिंग का इज़ाफा होने से संकट की तीव्रता अधिक बढ़ने लगी है। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था के साथ वैश्‍विक सप्लाई चेन पर भी दिखेगा, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही है। इससे कोरोना की महामारी से उभरकर सामान्य होने की कोशिश कर रही वैश्‍विक अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँच सकता है, ऐसा दावा विश्‍लेषकों ने किया है। इसी बीच, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्माण हुई ईंधन की किल्लत की स्थिति कुछ महीनों के लिए बरकरार रह सकती है, यह वृत्त ‘ऑईलप्राईस’ नामक वेबसाईट ने दिया है।

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