कोरोना के कारण लगाए लॉकडाऊन से चीन की अर्थव्यवस्था का बड़ा नुकसान

बीजिंग – कोरोना की महामारी के उद्गम वाले चीन में कोरोना के एक के बाद एक विस्फोट होते जा रहे हैं। पिछले महीने शिआन शहर में शुरू हुई महामारी के बाद युझोऊ और तिआन्जिन जैसे बड़े शहरों में भी महामारी का विस्फोट होने की बात सामने आयी है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ को लागू किया है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था का नुकसान होने लगा है और इसका असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा, यह चिंता जताई जा रही है।

चीन की अर्थव्यवस्था

वर्ष २०१९ के अन्त में चीन के वुहान शहर में कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद लॉकडाऊन, मास टेस्टिंग, बड़ी मात्रा में अस्पतालों का निर्माण एवं स्थानीय स्तर पर विकसित किए गए वैक्सीन की सहायता से कोरोना की महामारी पर काबू करने का दावा चीन की हुकूमत ने किया था। कोरोना के उद्गमस्थान वाले वुहान समेत अन्य शहरों में पार्टी एवं अन्य कारणों के लिए उमड़ी भीड़ के फोटो भी प्रसिद्ध किए गए थे। लेकिन, अब चीन के कई प्रांतों में फिर से कोरोना का विस्फोट होता सामने आ रहा है।

चीन के अलग अलग शहरों में ओमीक्रोन वेरिएंट के संक्रमित पाए जाने से सनसनी फैली है। विश्‍व के अन्य देशों की तुलना में इन संक्रमितों की संख्या ना के बराबर होने के बावजूद इसके खिलाफ चीन ने हमेशा की तरह सख्त प्रतिबंधों का समावेश वाली ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ लागू की है। इस नीति ने चीन के सैंकड़ों कारखाने एवं उद्योगों को नुकसान पहुँचाया है। सैमसंग एवं मायक्रोन टेक्नॉलॉजीस्‌ जैसी विदेशी कंपनियो ने अपने उत्पादन पर इससे परिणाम होने का बयान किया है। निर्यात का केंद्र ‘निन्गबो पोर्ट’ में भी प्रतिबंध लगाए गए हैं और इस वजह से जहाज़ों की यातायात बाधित हुई है। इससे ‘सप्लाई चेन’ से जुड़ी कई कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, यह जानकारी भी सामने आयी है।

चीन की अर्थव्यवस्था

चीन में एक के बाद एक लागू किए जा रहे लॉकडाऊन की वजह से अर्थव्यवस्था को पहले ही नुकसान पहुँच रहा है, यह इशारा ‘नोमुरा’ नामक वित्तसंस्था ने दिया है। लॉकडाऊन के झटकों की वजह से २०२१ के आखरी तीमाही में चीन का आर्थिक विकास दर तीन प्रतिशत तक फिसलने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए हैं। तीसरी तिमाही में यही दर ४.९ प्रतिशत था।

अर्थव्यवस्था के साथ ही चीन की अंदरुनि समस्या भी गंभीर होती जा रही है। लॉकडाऊन लागू किए गए शहरों में स्थानीय जनता को अनाज एवं उचित सुविधाएं प्राप्त ना होने की शिकायतें सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से सामने आ रही हैं। कई परिवारों को तीन से चार दिन सब्जियां एवं अन्न-धान की सप्लाई ना होने की बात स्पष्ट हुई है। कुछ हिस्सों में लोगों ने अनाज और धान के लिए घर के कीमती सामान आदान-प्रदान करने के वृत्त भी प्रसिद्ध हुए हैं। कोरोना की वजह से जारी प्रतिबंधों की वजह से कई लोग भूखमरी का सामना करने के लिए मज़बूर हुए हैं और कुछ ज्येष्ठ नागरिकों को इलाज ना मिलने से घर पर ही मृत्यु होने की जानकारी सामने आयी है।

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