इस्रायल और सौदी अरब का सहयोग खाड़ी की शांति के लिए खतरा साबित होगा

- ईरान के विदेश मंत्रालय की आलोचना

तेहरान – इस्रायल और सौदी अरब का सहयोग स्थापित करने के लिए अमरीका के बायडेन प्रशासन ने कोशिश शुरू की है। इससे संबंधित प्रस्ताव के साथ अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने हाल ही में सौदी का दौरा किया और क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। आगे के दिनों में इस्रायल और सौदी का सहयोग स्थापीत हो सकता है, ऐसे संकेत सुलिवन ने दिए। इस वजह से ईरान बेचैन हुआ है। इस्रायल और सौदी के सहयोग के कारण खाड़ी की शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा, ऐसी चेतावनी ईरान के विदेश मंत्रालय ने दी है।

खाड़ी की शांति

बायडेन प्रशासन ने हाल ही के हफ्तों में इस्रायल-सौदी सहयोग को लेकर बयान करना शुरू किया है। इस सहयोग के लिए बायडेन प्रशासन गंभीर होने के दावे किए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष आयसैक हर्झोग ने व्हाईट हाऊस का दौरा किया था। उस समय भी सौदी के सहयोग का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन ने यकायक सौदी का दौरा करके क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। इस दौरान भी इस्रायल-सौदी सहयोग के मुद्दे पर चर्चा होने के संकेत सुलिवन ने दिए थे।

सौदी की हुकूमत ने अभी इसपर अधिकृत प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है। लेकिन, अगले कुछ ही घंटे बाद इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने इस्रायल के उत्तरी ओर के ‘किरियात शिनॉन’ और दक्षिणी ओर के ‘इलात’ इन दो शहरों को जोड़ने वाले ‘हाई स्पीड ट्रेन’ का ऐलान किया। साथ ही इस ‘ट्रेन’ का आगे सौदी तक विस्तार मुमकीन होगा, यह कहकर नेत्यान्याहू ने सौदी से सहयोग करने के लिए उत्सुक होने की बात स्पष्ट की। इससे पहले भी जॉर्डन और सौदी के रास्ते यूएई तक राजमार्ग का विस्तार करने की दिशा में इस्रायल ने अपनी गतिविधियां शुरू करने की खबरें सामने आयी थी।

खाड़ी की शांति

मात्र कुछ ही घंटे के फरक से सामने आए इन खबरों पर ईरान ने अपनी नाराज़गी जताई। ‘इस्रायल का खाड़ी क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ाने की योजना अमरीका पिछले कई सालों से बनाई है और अमरीका इसके लिए काम भी कर रही है। सौदी से सहयोग स्थापित करके अमरीका अपनी इसी योजना पर काम कर रही हैं। लेकिन, इस सहयोग के कारण खाड़ी की शांति और स्थिरता को खतरा होगा’, ऐसी चेतावनी ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने दी। साथ ही इस्रायल ने पहले यूएई, बहरीन इन अरब-खाड़ी देशों से किए सहयोग का ज़िक्र भी कनानी ने किया। इस सहयोग के बाद भी इस्रायल के पैलेस्टिनियों पर जारी हमले और अत्याचार बंद नहीं हुए हैं, ऐसा आरोप कनानी ने लगाया।

सौदी भी इस्रायल से सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं, ऐसी घोषणा करके क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने एक साल पहले की थी। लेकिन, उससे पहले इस्रायल पैलेस्टिनियों के द्विराष्ट्रवाद के मुद्दे का हल निकालने के लिए काम करे, ऐसा आवाहन सौदी के क्राउन प्रिन्स ने किया था। ईरानी विदेश मंत्रालय ने भी इसी को मुद्दा बनाकर इस्रायल-सौदी का सहयोग स्थापित ना हो, इस दिशा में अपनी गतिविधियां शुरू करने की बात दिख रही है।

इसी बीच, बायडेन प्रशासन ने इससे पहले ईरान के परमाणु समझौते को अहमियत दी थी। इसके लिए बायडेन प्रशासन ने इस्रायल को भी नाराज़ किया था। अमरीका में इसकी तीव्र प्रतिक्रियां सामने आयी थी। लेकिन, पिछले कुछ हफ्तों से बायडेन प्रशासन की ईरान संबंधित भूमिका में बदलाव होत दिख रहा है। ईरान का खतरा रेखांकित करके बायडेन प्रशासन ने पर्शियन खाड़ी के लिए उन्नत ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान एवं एम्फिबियस युद्धपोत रवाना किए हैं। साथ ही परमाणु समझौते के लिए नियुक्त किए अपने विशेष दूत को भी बायडेन ने प्रशासन ने हटाया है।

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