मास्को/बिश्केक – यूक्रेन युद्ध में रशिया ने लाखों सैनिक खोए हैं और आगे के संघर्ष के लिए सैनिकों की किल्लत होने की संभावना जताई जा रही है। इसका अहसास होने पर रशिया ने किसी समय ‘सोवियत संघ राज्य’ का हिस्सा रहे देशों की ओर अपना ध्यान मोड़ दिया है। पिछले कुछ महीनों में कझाकस्तान और आर्मेनिया जैसे देशों में रशिया ने सैन्य भर्ती के लिए मुहिम चलाने की जानकारी सामने आयी है। इससे पहले रशिया ने यूक्रेन के सैन्य अभियान के लिए अफ़गान कमांडोज् भर्ती किए थे, ऐसा दावा अमरिकी माध्यमों ने किया था।
रशिया-यूक्रेन युद्ध में रशियन सेना को भारी मात्रा में जान का नुकसान उठाना पड़ा है, ऐसे दावे यूक्रेन के साथ पश्चिमी देश भी कर रहे हैं। पश्चिमी गुप्तचर यंत्रणा एवं माध्यमों ने हाल ही में ऐसे दावे किए थे कि, रशिया ने लगभग पांच लाख सैनिक खोए हैं। भारी मात्रा में हो रहे जान के नुकसान की पृष्ठभूमि पर रशिया ने पिछले साल सना में नई भर्ती प्रक्रिया करने की जानकारी सामने आयी थी। राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यह ऐलान किया था। इसके अनुसार रशियन रक्षा बलों के सैनिकों की संख्या १५ लाख करने के संकेत दिए गए हैं।
दूसरी ओर रशिया ने चेचेन दलों की तैनाती बढ़ाई दिख रही है। सीरिया और अन्य देशों में तैनात सैन्य दलों में से कुछ दल वापस बुलवाए गए हैं, ऐसे दावे भी सामने आए थे। इसके बाद अब रशिया ने अपना ध्यान सोवियत संघ राज्य का हिस्सा होने वाले देशों पर मोड़ा दिख रहा है। इन देशों में रशियन वंशी नागरिकों की संख्या काफी बड़ी होने के कारण यह कदम उठाया गया होगा, ऐसे आसार दिख रहे हैं।
पश्चिमी माध्यमों ने जारी किए वृत्त में कझाकस्तान और अर्मेनिया इन देशों में रशिया ने प्रचार अभियान चलाने की बात कही है। रशियन सेना में शामिल होने पर पांच हजार डॉलर की राशि और अन्य सुविधा प्रदान करने का लालच दिखाया गया है। इसके लिए किए विज्ञापन में एक सैनिक के पीछे रशिया और कझाकस्तान के झंड़े साथ साथ दिखाए गए हैं। रशिया के इस अभियान की गूंज कझाकस्तान के सियासी दायरे में भी सुनाई पड़ने की बात कही जा रही है। लेकिन, रशियन यंत्रणा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है।
इसी बीच रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष एवं सिक्योरिटी कौन्सिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने हाल ही में रशियन सेना के भर्ती प्रक्रिया केंद्र का दौरा किया। उस समय किए बयान में उन्होंने पिछले आठ महीनों में २.८० लाख लोग रशियन सेना में भर्ती होने की जानकारी प्रदान की। इनमें से अधिकांश लोग आरक्षित बल का हिस्सा रहेंगे, ऐसा मेदवेदेव ने कहा।
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