बोगोटा – वैश्विक अर्थव्यवस्था दूसरे ‘कोल्ड वॉर’ की दिशा में बढ़ रही है। अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का सात ट्रिलियन डॉलर नुकसान हो सकता है। अमेरिका और सोवियत रशिया के बीच हुए पहले शीतयुद्ध के बाद पिछले तीन दशकों में वैश्विक विकास ठीक से हुआ था। पूरे विश्व में शांति बनी थी। लेकिन, अब अमेरिका फिर से शीत युद्ध में उतरी हैं। सोवियत रशिया नहीं बल्कि अब चीन के साथ शुरू अमेरिका का यह शीत युद्ध वैश्विक विकास को भारी नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की उपप्रमुख गीता गोपीनाथ ने दी।
अमेरिका और सोवियत रशिया के शीत युद्ध के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा था। इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हुई थी। लेकिन, सोवियत रशिया के बिखरने के बाद यह शीत युद्ध खत्म हुआ और इसमें शामिल अमेरिका सहित सभी देश अपनी अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने लगे। पिछले तीन दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने अच्छा विकास दर दर्ज़ किया था, यह दावा मुद्रा कोष की उप-प्रमुख गोपीनाथ ने किया। लेकिन, पिछले कुछ सालों में हुई अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां इस विकास को नुकसान पहुंचाने वाली होने की चिंता गोपीनाथ ने व्यक्त की। शीत युद्ध खत्म होने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक गतिविधियां अस्थिरता के संकेत दे रहे हैं, ऐसा इशारा गोपीनाथ ने दिया।
रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से विश्व के अधिकांश देश दो गुटों में विभाजीत हुए। इस बीच अमेरिका और यूरोपिय देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों का असर पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था पर ही हुआ, इसकी याद भी गोपीनाथ ने ताज़ा की। इस युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की गती कम हुई थी। वहीं, इस्रायल और हमास के संघर्ष ने फिर से इन गुटों में मतभेद निर्माण हो रहे हैं, ऐसा इशारा मुद्राकोश की उप-प्रमुख ने दिया। इसी बीच ईंधन से संपन्न खाड़ी क्षेत्र के देशों में भी इसके परिणाम होते दिखाई देने का दावा गोपीनाथ ने किया। लेकिन, उससे भी अधिक अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता तनाव, व्यापारीक मतभेद वैश्विक अर्थव्यवस्था को दूसरे शीत युद्ध की ओर धकेल रहे हैं, ऐसी चेतावनी उन्होंने दी। क्यों कि, यह दोनों महाशक्तियां वैश्विक जीडीपी में ४३ प्रतिशत योगदान देते है, ऐसा गोपीनाथ ने कहा।
पिछले पांच सालों में अमेरिका द्वारा चीन से हो रही आयात कम हुई है और दोनों देशों के बीच शुरू व्यापार कम होने का दावा किया जा रहा है। इन दो देशों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो गुट तैयार हुए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी दो गुटों में बट गई है, ऐसा दावा गोपीनाथ ने किया। अमेरिका, यूरोप बनाम चीन, रशिया इन दो गुटों में वैश्विक अर्थव्यवस्था विभाजित हुई तो इससे सात ट्रिलियन डॉलर नुकसान होगा, यह ड़र उन्होंने कोलंबिया में आयोजित बैठक में व्यक्त किया। यह दरार बढ़ती है तो हम नए शीत युद्ध का सामना करेंगे और बाद में वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा, ऐसा इशारा गोपीनाथ ने दिया।
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