मास्को/पैरिस – यूक्रेन में सैन्य तैनाती करने का नाटो ने किया निर्णय यानी युद्ध का ऐलान ही होगा, ऐसा इशारा रशिया के वरिष्ठ सांसद सॉन्स्टंटिन कोसाचेव ने दिया है। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने हाल ही में यह इशारा दिया था कि, नाटो सदस्य देश और सहयोगी यूक्रेन में सैन्य तैनाती करने की संभावना से पुरी तरह से इनकार करना मुमकिन नहीं है। इसपर रशिया की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी है और फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष का यह बयान रशिया-नाटो संघर्ष टालना मुमकिन नहीं होने के संकेत देता है, ऐसी चिंता रशियन सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने व्यक्त की है।
फ्रान्स की राजधानी पैरिस में यूक्रेन के मुद्दे पर विशेष बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में जर्मनी, ब्रिटेन, पोलैण्ड सहित यूरोप के २५ देशों के राष्ट्रप्रमुख और वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। रशिया-यूक्रेन युद्ध के दो साल पूरे होने के अवसर पर यूक्रेन को प्रदान हो रही सहायता की दिशा तय करने के लिए इस बैठक का प्रयोजन होने की जानकारी फ्रेंच सूत्रोंने प्रदान की। इस बैठक में बोलते हुए फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने यूक्रेन में नाटो की तैनाती के मुद्दे पर बयान किया।
‘युद्ध के मोर्चे पर रशिया का पलड़ा अधिक से अधिक मज़बूत होता दिख रहा है। आगे के दिनों में रशिया नए हमले करने की तैयारी में लगी होने की बात कही जा रही है। सैन्य और सामरिक खतरों पर गौर करके यूक्रेन संबंधित नीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता है। यूरोप कीसुरक्षा और स्थिरता के लिए यूक्रेन में रशिया को पराजित करना आवश्यक है। इसके लिए किसी भी विकल्प को अनदेखा नहीं कर सकते। मौजूदा स्थिति में यूक्रेन में सैन्य तैनाती करने के मुद्दे पर सहमति नहीं हुई है, फिर भी आगे के समय में रशिया जीत हासिल न कर सके, इसके लिए यह निर्णय करने की तैयारी भी रखनी होगी’, ऐसा इशारा फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने दिया।
फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष के इस बयान पर रशिया सहित यूक्रेन और यूरोपिय देशों से भी प्रतिक्रियाएं सामने आयी हैं। यूक्रेन के नेताओं ने मैक्रॉन के इस बयान का स्वागत किया है। लेकिन, नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने य कहा है कि,यूक्रेन में सैन्य तैनाती का विचार नाटो फिलहाल तो नहीं कर रही है। जर्मनी, स्लोवाकिया, हंगरी जैसे देशों ने भी यूक्रेन में सैन्य भेजने के प्रस्ताव का विरोध होने की बात स्पष्ट की है। ‘फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष का बयान काफी खतरनाक है। यूक्रेन युद्ध में नाटो और सदस्य देश पहले से ही शामिल हुए हैं। यूक्रेन में तैनाती करने के मुद्दे पर चर्चा कर रहे देशों ने इससे पहले यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने का विरोध किया था। अब सैन्य तैनाती की शुरू हुई चर्चा यानी इस युद्ध में नाटो ने प्रत्यक्ष शामिल होने के दिए संकेत या युद्ध का ऐलान साबित होगा’, ऐसा इशारा रशिया के वरिष्ठ सांसद कॉन्स्टंटिन कोसाचेव ने दिया। वह रशियन संसद के वरिष्ठ सदन के उप-सभापति और ‘फॉरिन अफेअर्स कमेटी’ के प्रमुख है।
इस बीच, हंगरी की संसद ने स्वीडन का नाटो में शामिल होने संबंधित प्रस्ताव मंजूर किया। हंगरी के संसद में १८८ बनाम ६ मत से स्वीडन की सदस्यता को मंजूरी मिलने का ऐलान प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने किया। इस मंजूरी की पृष्ठभूमि पर ही स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने हंगरी का दौरा किया है और दो देशों ने लड़ाकू विमानों की खरीद संबधित समझौता करने की जानकारी माध्यमों ने दी है।
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