वॉशिंग्टन/तैपेई – ‘अमरीका ने अपने सेना के कमांड़ोज् को तैवान भेजकर, चीन के हमलें का सामना कैसे करना है, इसका प्रशिक्षण देना होगा। तैवान पर हमला करने की तैयारी चीन कर रहा है और ऐसें में इस देश ने सोचा भी नहीं होगा ऐसें कदम उठाकर अमरीका ने चीन को झटका देने की आवश्यकता है’, ऐसा ख्रिस्तोफर मायर ने कहा है। अमरिकी रक्षाबलों के स्पेशल ऑपरेशन्स के प्रमुख के तौर पर खिस्तोफर मायर का नाम चर्चा में हैं। इसी वजह से उनके द्वारा यह सलाह दी जाना ध्यान आकर्षित करता है।
‘तैवान की क्षमता बढ़ाने के लिए अमरीका ने गंभीरता से कोशिश करनी होगी। चीन और तैवान की लष्करी क्षमता की तुलना हो ही नहीं सकती। इसी वजह से स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेस की सहायता से हम तैवान की क्षमता बढ़ा सकते हैं’, ऐसा मायर ने अमरिकी सिनेट की ‘आर्मड् सर्विसेस कमिटी’ के सामने बोलते समय सूचित किया। चीन ‘एम्फिबियस’ युद्धपोतों का इस्तेमाल करके तैवान पर हमला कर सकता है, यह चिंता मायर ने व्यक्त की।
बीते वर्ष के नवंबर महीने में अमरिकी मरिन्स का दल तैवान में उतरा था। अमरिकी मरिन्स ने तैवान के सैनिकों को प्रशिक्षित करने की खबरें भी प्रसिद्ध हुईं थीं। पेंटॅगॉन के अफसरों ने इससे संबंधित दावों से इन्कार किया था। लेकिन, तैवान के माध्यमों ने ही अमरिकी मरिन्स के उतरने की बात कही थी। इसके बाद चीन के पूर्व लष्करी अफसरों ने गुस्सा व्यक्त करके तैवान पर कब्ज़ा करने की धमकियाँ दीं थीं।
मायर ने सिनेट के सामने, तैवान के साथ जारी लष्करी सहयोग की तरह राजनीतिक स्तर पर भी सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव अमरीका के प्रतिनिधी गृह में पेश किया। रिपब्लिकन पार्टी के सिनेटर स्टिव्ह शैबॉत और डेमोक्रैट पार्टी के सिनेटर ब्रैड शर्मन ने पेश किए हुए प्रस्ताव में, अमरीका में मौजूद तैवान के प्रतिनिधियों के अधिकार बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
अमरीका में मौजूद तैवान के प्रतिनिधी दफ्तर की ‘तैवान काउन्सिल फॉर यूएसअफेअर्स’, यह पहचान बनी है। लेकिन, इसके आगे तैवान के साथ जारी सहयोग को अहमियत देने के लिए इस दफ्तर का नाम ‘तैवान रिप्रेझेन्टेशन ऑफिस’ करें, ऐसा वर्णित प्रस्ताव में कहा गया है। इस वजह से, अमरीका के विदेश मंत्रालय को तैवान के प्रतिनिधियों से सहयोग करने में आसानी होगी, ऐसा शैबॉत और शर्मन का कहना है। यह प्रस्ताव चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ को झटका देनेवाला होने का दावा तैवानी माध्यम कर रहे हैं। इससे अमरीका और तैवान के संबंध अधिक मज़बूत होंगे, ऐसा इन माध्यमों का कहना है। इसपर चीन की तीव्र प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
इसी बीच, पश्चिम पैसिफिक महासागर में स्थित ‘किरिबाती’ इन द्वीपों के देश में चीन ने निर्माण किया हुआ हवाई अड्डा अमरीका के लिए सिरदर्द बन सकता है, यह चेतावनी तैवान के लष्करी विश्लेषक चैंग जुंग-मिंग ने दी है। दूसरे विश्वयुद्ध में इस्तेमाल किए गए इस हवाई अड्डे की मरम्मत करके, चीन इसका इस्तेमाल इस क्षेत्र में जारी अमरीका की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कर सकता है, ऐसा चैंग का कहना है। अमरीका के हवाई द्वीप से किरिबाती करीबन १,८६४ समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
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